अनुच्छेद लेखन : त्योहारों का महत्त्व
भारत पर्व-त्योहारों का देश है। इसमें बारहों महीने पर्व-त्योहार का माहौल बना रहता है और लोग तो जैसे इनका इंतजार ही करते रहते हैं। ये त्योहार उल्लास-उमंग के प्रतीक होते हैं और लोगों को आपस में एक-दूसरे से जोड़ने का प्रयास करते हैं। कुछ त्योहार धर्म पर आधारित होते हैं; सामाजिक मान्यताओं से जुड़े होते हैं किंतु कुछ पर्व ऐसे भी होते हैं, जिनका संबंध देशभक्ति और राष्ट्रीय भावनाओं से होता है। पंद्रह अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है और छब्बीस जनवरी को गणतंत्र दिवस। ये दोनों राष्ट्रीय पर्व हैं और इन्हें हर साल इसलिए मनाया जाता है ताकि लोग अपनी देशभक्ति की भावनाओं का प्रदर्शन कर सके। दीपावली का पर्व अंधकार पर प्रहर साल इसलिए मनाया जाता है ताकि लोग अपनी देशभक्ति की भावनाओं का प्रदर्शन कर सके। दीपावली का पर्व अंधकार पर प्रकाश की विजय के रूप में मनाया जाता है। दशहरा का पर्व अधर्म पर धर्म की विजय के रूप में आयोजित होता है। होली भारत का सबसे बड़ा पर्व है। यह पर्व दुश्मनी को दोस्ती में बदलने और आपसी भाई-चारा बढ़ाने का काम करता है। पर्व-त्योहार हमारी परंपरा, सभ्यता और संस्कृति के प्रतिबिंब हैं। वास्तव में खुशियों को बाँटने का कोई-न-कोई बहाना तो होना चाहिए। धर्म में अपनी आस्था प्रकट करने के लिए कोई मौका तो मिलना चाहिए। पर्व-त्योहारों के माध्यम से लोग अपने में स्फूर्ति व शक्ति अनुभव करते हैं और अपना आचरण अपने धर्म के अनुकूल बनाए रखने की प्रेरणा लेते हैं। वास्तव में ये त्योहार शारीरिक और मानसिक विकारों को दूर कर लोगों को सत्यपथ की ओर उन्मुख करते हैं।