अपठित गद्यांश – पश्चिमी सभ्यता की काली मशीनें
निम्नलिखित गद्यांश का ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर लिखिए-
पश्चिमी सभ्यता मुख मोड़ रही है। वह एक नया आदर्श देख रही है। अब उसकी चाल बदलने लगी है। वह कलों की पूजा को छोड़कर मनुष्यों की पूजा को अपना आदर्श बना रही है। इस आदर्श के दर्शाने वाले देवता रस्किन और टॉलस्टॉय आदि हैं। पाश्चात्य देशों में नया प्रभात होने वाला है। वहाँ के गंभीर विचार वाले लोग इस प्रभात का स्वागत करने के लिए उठ खड़े हुए हैं। प्रभात होने के पूर्व ही उसका अनुभव कर लेने वाले पक्षियों की तरह इन महात्माओं को इस नए प्रभात का पूर्व ज्ञान हुआ है और हो क्यों न? इंजनों के पहिए के नीचे दबकर वहाँ वालों के भाई-बहन उनकी सारी जाति पिस गई, उनके जीवन के धुरे टूट गए, उनका समस्त धन घरों से निकलकर एक ही दो स्थानों में एकत्र हो गया।
साधारण लोग मर रहे हैं, मज़दूरों के हाथ-पाँव फट रहे हैं, लहू बह रहा है। सर्दी से ठिठुर रहे हैं। एक तरफ़ दरिद्रता का अखंड राज्य है, दूसरी तरफ़ अमीरी का चरम दृश्य। परंतु अमीरी भी मानसिक दुःखों से विमर्दित है। मशीनें बनाई तो गई थीं मनुष्यों का पेट भरने के लिए, मज़दूरों को सुख देने के लिए, परंतु वे काली काली मशीनें ही काली बनकर उन्हीं मनुष्यों का भक्षण कर जाने के लिए मुख खोल रही हैं। प्रभात होने पर ये काली-काली बलाएँ दूर होंगी। मनुष्य के सौभाग्य का सूर्योदय होगा।
शोक का विषय यह है कि हमारे और अन्य पूर्वी देशों में लोगों को मज़दूरी से तो लेशमात्र भी प्रेम नहीं है, पर वे तैयारी कर रहे हैं पूर्वोक्त काली मशीनों का आलिंगन करने की। पश्चिम वालों के तो ये गले पड़ी हुई बहती नदी की काली कमली हो रही हैं। वे छोड़ना चाहते हैं, परंतु काली कमली उन्हें नहीं छोड़ती। देखेंगे पूर्व वाले इस कमली को छाती से लगाकर कितना आनंद अनुभव करते हैं। यदि हममें से हर आदमी अपनी दस अँगुलियों की सहायता से साहसपूर्वक अच्छी तरह काम करे तो हम मशीनों की कृपा से बढ़े हुए परिश्रम वालों को वाणिज्य के जातीय संग्राम में सहज ही पछाड़ सकते हैं। सूर्य तो सदा पूर्व ही से पश्चिम की ओर जाता है, पर आओ पश्चिम से आने वाली सभ्यता के नए प्रभात को हम पूर्व से भेजें।
इंजनों की वह मज़दूरी किस काम की जो बच्चों, स्त्रियों और कारीगरों को ही भूखा नंगा रखती है और केवल सोने चाँदी, लोहे आदि धातुओं का ही पालन करती है। पश्चिम को विदित हो चुका है कि इनसे मनुष्य का दुःख दिन पर दिन बढ़ता है।
प्रश्न. “पाश्चात्य देशों में नया प्रभात होने वाला है।”-पंक्ति में रेखांकित पद का आशय हो सकता है?
प्रश्न. संदर्भ के अनुसार गद्यांश में ‘विमर्दित’ शब्द का सटीक अर्थ क्या हो सकता है?
प्रश्न. गद्यांश के अनुसार पूर्वी देशों की समस्या क्या है?
प्रश्न. गद्यांश के अनुसार साधारण लोग क्यों मर रहे हैं?
प्रश्न. गद्यांश में मशीनों को ‘काली मशीनें’ कहना किस बात की ओर संकेत करता है?
प्रश्न. “इंजनों के पहिए के नीचे दबकर वहाँ वालों के……” इस प्रक्रिया के क्या परिणाम हुए?
प्रश्न. रस्किन और टॉलस्टॉय का महत्त्व क्यों है?
प्रश्न. मनुष्य के सौभाग्य का सूर्योदय कब होगा?
प्रश्न. मनुष्य के दुःख में निरंतर वृद्धि का क्या कारण बताया गया है?