अपने नियमों पर चलिए।


सही गलत को टिक मार्क करने वाले लोग डिब्बे में बंद रहकर सोचते हैं। मार्क ट्वैन ने इस बारे में कहा है कि अगर आप ख़ुद को बहुमत की तरफ़ देखें तो एक बार विचार जरूर करें।

जो सब करते हैं, वही हम भी करें तो नतीजे अलग कैसे होंगे। कुछ नया करने के लिए नई पहल करने वाला दृष्टिकोण सबसे पहले चाहिए।

जब आप किसी प्रतिस्पर्धा में होते हैं, तो तुलना लाज़मी है।

तुलना एक तरह की वह होड़ है, जहां आपको अपने खेल के नियम – कायदे किसी और के हिसाब से बार- बार बदलने को मजबूर करती है।

चूहा दौड़ में शामिल होकर चूहे ही कहलाएंगे।

अपने नियमों पर चलेंगे तो आश्वस्त चाल कहलाएंगे।