कविता : माँ की ममता
माँ की ममता
मेरे गीतों में तू मेरे ख्वाबों में तू,
इक हकीकत भी तू और किताबों में तू।
तू ही तू है मेरी जिन्दगी,
कैसे मैं करूँ तेरी बन्दगी।
तू न होती तो फिर मेरी दुनिया कहाँ,
तेरे होने से मैंने ये देखा जहाँ।
कष्ट लाखों सहे तुमने मेरे लिए,
और सिखायी कला जी सकूँ मैं यहाँ।
कैसे करूँ माँ तेरी बन्दगी।
तेरी ममता मिली मैं जिया छाँव में,
वही ममता बिलखती अभी गाँव में।
काट कर के कलेजा वो माँ का गिरा,
आह निकली उधर, क्या लगी पाँव में।
तेरी गहराइयों में मिली सादगी,
कैसे मैं करूँ माँ तेरी बन्दगी।
गोद तेरी मिले है ये चाहत मेरी,
दूर तुमसे हूँ शायद ये बदकिस्मती मेरी।
है पुत्र का नमन माँ हृदय से तुझे,
सदा सुमिरूँ तुझे, हो ये आदत मेरी।
तू ही तू है माँ मेरी जिन्दगी
कैसे मैं करूँ माँ तेरी बन्दगी ।