CBSEEducationअनुच्छेद लेखन (Anuchhed Lekhan)

अनुच्छेद लेखन


किसी एक भाव, विचार को व्यक्त करने हेतु लिखे गए वाक्य-समूहों को अनुच्छेद-लेखन कहते हैं अर्थात किसी घटना या विषय को संक्षिप्त लेकिन सारगर्भित तरीके से लेखनीबद्ध करने को अनुच्छेद-लेखन कहते हैं।

अनुच्छेद- निबंध का ही एक संक्षिप्त रूप होता है। अनुच्छेद में विषय वस्तु का वर्णन संतुलित व पूर्णता लिए होता है। अनुच्छेद-लेखन एक कला है। इसके लिए बुद्धि कौशल की आवश्यकता होती है।


अनुच्छेद की विशेषताएँ – एक अच्छे अनुच्छेद की निम्नलिखित विशेषताएँ होती है-

(1) अनुच्छेद स्वयं में पूर्ण व स्वतंत्र रचना है।

(2) अनुच्छेद की भाषा सरल, स्पष्ट व विषयानुकूल होती है।

(3) अनुच्छेद-लेखन में विचार क्रमबद्ध व सुसंगठित होते हैं।

(4) अनुच्छेद सीमित व संतुलित आकार का लेखन है।

(5) अनुच्छेद के वाक्यों में उद्देश्य की एकता होती है।


अनुच्छेद लेखन का उद्देश्य

पूर्णता – सम्बन्धित विषय के सभी पक्षों को अनुच्छेद के सीमित आकार में संयोजित करना।

क्रमबद्धता – विचारों को क्रमबद्ध एवं तर्कसंगत विधि से प्रकट करना।

विषय केन्द्रित – प्रारम्भ से अंत तक अनुच्छेद का एक सूत्र में बँधा होना।

सामासिकता – सीमित शब्दों में यथासंभव पूरी बात कहने का प्रयास, अनावश्यक बातें न करके केवल विषय संबद्ध वर्णन – विवेचन ।

अनुच्छेद-लेखन के लिए निम्नलिखित बातें ध्यान रखनी आवश्यक हैं :

(1) अनुच्छेद-लेखन एक प्रकार की संक्षिप्त लेखन-शैली है, अत: इसमें मुख्य विषय पर ही ध्यान रखना चाहिए।

(2) अनुच्छेद-लेखन में उदाहरण अथवा दृष्टांत के लिए कोई स्थान नहीं है। आवश्यकता होने पर उसकी ओर संकेत कर देना ही पर्याप्त है।

(3) अनुच्छेद में व्यर्थ की बातें उसके अपेक्षित प्रभाव को शिथिल बनाती हैं।

(4) अनुच्छेद के सभी वाक्यों का परस्पर घनिष्ठ संबंध होना चाहिए।

(5) अनुच्छेद में इस बात की ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है कि उसका प्रथम और अन्तिम वाक्य सारगर्भित तथा प्रभावोत्पादक होना चाहिए।

(6) प्रथम वाक्य की विशिष्टता इसमें है कि वह अनुच्छेद के सम्बन्ध में पाठक का कौतूहल जागृत करने में किस सीमा तक समर्थ है। अंतिम वाक्य की विशिष्टता इस तथ्य पर निर्भर करती है कि पाठक की जिज्ञासा किस सीमा तक शांत हुई है।

(7) अनुच्छेद में भाषा की शुद्धता तथा शब्दों के चयन पर विशेष रूप से ध्यान देना अपेक्षित है। मुहावरों तथा लोकोक्तियों का प्रयोग भावाभिव्यक्ति को प्रभावशाली कर देता है।

(8) अनुच्छेद-लेखन में अनुभूति की प्रधानता अपेक्षित है।

(9) अनुच्छेद-लेखन में परीक्षार्थी को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह अपनी बात को उतने ही शब्दों में बाँधने का प्रयत्न करे जितने शब्द प्रश्न-पत्र में कहे गए हैं। दो-चार शब्द कम-अधिक होना आपत्तिजनक नहीं होता।

(10) लगभग 150 शब्दों में अनुच्छेद लिखा जाना चाहिए।

परीक्षा में संकेत-बिंदुओं के आधार पर अनुच्छेद लेखन करने को कहा जाता है। अतः विद्यार्थियों को चाहिए कि पहले वे उन संकेत-बिन्दुओं के भाव को समझें। उनमें संबंध बनाएँ। मन ही मन एक क्रम और लय बनाने के बाद उपर्युक्त बातों को ध्यान में रखकर अनुच्छेद लिखें। यहाँ अभ्यास हेतु कुछ अनुच्छेद दिए जा रहे हैं, विद्यार्थी इनका भलीभाँति अध्ययन करें व किसी विषय पर अनुच्छेद लिखने का प्रयत्न करें।