प्रश्न. फाल्गुन में ऐसी क्या बात थी कि कवि की आँखें हट नहीं रही थीं?
उत्तर : फाल्गुन मास की प्राकृतिक शोभा इतनी विविध और मनोहारी है कि घर-घर को महकाती पवन, आकाश में अठखेलियाँ करते पक्षी, पत्तों से लदी डालियों और मंद सुगन्ध से परिपूर्ण पुष्प समूह के इन सारे दृश्यों ने मंत्रमग्ध-सा कर दिया था। इसलिए कवि की आँख फाल्गुन से हट नहीं रही थी।