सुविचार : चाणक्य
📌 शत्रु के गुण को भी ग्रहण करना चाहिए।
📌 आलसी का ना वर्तमान होता है, ना भविष्य।
📌 मनुष्य की वाणी विष और अमृत की खान है।
📌 जो जिस कार्य में कुशल हो उसे उसी कार्य में लगना चाहिए।
📌 भूख के समान कोई दूसरा शत्रु नहीं है।
📌 दौलत, दोस्त और राज्य दोबारा हासिल किए जा सकते हैं, लेकिन शरीर दोबारा हासिल नहीं किया जा सकता।
📌 दंड का भय ना होने से लोग अकार्य करने लगते हैं।
📌 जो दिल में है, वो दूर होके भी पास है। लेकिन जो दिल में नहीं है, वो पास होकर भी दूर ही है।
📌 कार्य के मध्य में अति विलम्ब और आलस्य उचित नहीं है।
📌 जिस आदमी से काम लेना है, उससे वही बात करनी चाहिए जो उसे अच्छी लगे।
📌 सभी दुखों का मुख्य कारण लोगों से लगाव है। खुश रहने के लिए लगाव का त्याग करें।
चाणक्य