निबंध लेखन : सी. एन. जी
सी. एन. जी
मानव जीवन अमूल्य है इसे यूँही व्यर्थ नहीं करना चाहिए। वायु प्रदूषण एक विकट समस्या है। वायु से हमारा जीवन चलता है इसलिए यह जरूरी है कि हम इस वायुमण्डल को स्वच्छ रखें। हम कम से कम प्रदूषण फैलाएं ताकि लोग शुद्ध वायु में श्वास ले सकें।
गैस दो प्रकार की होती है।
1. प्राकृतिक दबाव गैस।
2. तरल प्राकृतिक गैस।
इन दोनों का उपयोग वाहनों में इंधनों के रूप में किया जाता है।
सी.एन. जी. को एक विशेष दबाव वाले सिलेंडर में 3000 – 3600 पाउड प्रति वर्ग इंच दबाव पर तैयार किया जाता है। तरल प्राकृतिक गैस का निर्माण प्राकृतिक गैस को शुद्ध एवं ठंडा 2600 F तक किया जाता है।
सी.एन.जी. कम खर्चीला है। सी.एन.जी. के द्वारा वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है। दिल्ली में लगभग 80 सी. एन.जी. पम्प हैं। आम नागरिक जिनके पास वाहन है वे भी अपने वाहन सी. एन. जी. में परिवर्तित करवा रहे हैं ।
दिल्ली सरकार ने एक ठोस कदम वायु प्रदूषण को रोकने के लिए उठाया है। परन्तु इसके साथ कुछ खामियाँ भी हैं। एक तो सी.एन.जी. के उपकरण महंगे है एवं सी. एन. जी. पम्प पर्याप्त न होने के कारण लोगों को कई घंटे पंक्तियों में अपने वाहनों के साथ रहना पड़ता है। फिर भी यह एक ऐसा कदम है। जिससे वायुमंडल में प्रदूषण की मात्रा को कम किया जा सके। मानव की सोच बदली है और जिसका परिणाम यह सी. एन. जी. है।
भारत में समस्याओं की कमी नहीं है। दहेज प्रथा, जाति प्रथा, अशिक्षा आदि कुछ ऐसी समस्याएं हैं जो आज तक खत्म नहीं हुई। इन्हीं सब समस्याओं में एक महत्त्वपूर्ण समस्या है – वायु प्रदूषण। वायु प्रदूषण जो हमारी ही उपज है। वायु प्रदूषण के कारण हजारों लोग मौत के आगोश में चले जाते हैं। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता एवम् चेन्नई भारत के प्रमुख नगर हैं। मुंबई, कोलकाता एवम् चेन्नई को मिलाने के बाद जितनी गाड़ियाँ मिलेंगी उतनी ही गाड़ियाँ दिल्ली में हैं। उन गाड़ियों से निकलने वाला धुआँ हमारे फेफड़ों को हानि पहुँचाता है। जिससे जान भी चली जाती है। इसी समस्या का समाधान है सी.एन.जी.। विदेशों में इसका प्रयोग 30 साल से किया जा रहा है।
सी.एन. जी. को एक विशेष दबाव वाले सिलेंडर में 3000 – 3600 पाउन्ड प्रति वर्ग इंच दबाव के साथ तैयार किया जाता है। जिससे कि वह कम जगह ले एवं ज्यादा से ज्यादा गैस भरी जा सके। जिसके द्वारा वाहन ज्यादा से ज्यादा दूरी तय कर सकें।
कुछ वाहन तरल दबाव वाले गैस का प्रयोग करते हैं। जिसका निर्माण प्राकृतिक गैस को शुद्ध एवं ठंडा करके 2600 F तक किया जाता है।
भारत की राजधानी दिल्ली में चारों ओर वाहन ही वाहन हैं। जिसके कारण लोग आए दिन अस्थमा एवं अन्य वायु प्रदूषण जैसी बीमारियों से ग्रसित हैं। इस समस्या के समाधान के लिए दिल्ली सरकार ने उच्चतम न्यायालय के साथ मिलकर एक कानून पास किया जिसमें कोई भी ऐसा वाहन जो नागरिक सेवा प्रदान करता हो उसे सी.एन.जी. का प्रयोग करना होगा। इस कानून को बड़ी सख्ती के साथ पालन किया गया एवं अनेक आंदोलनों के बावजूद इसमें कोई फेरबदल नहीं किया गया। दिल्ली सरकार ने अप्रैल माह को ‘ईंधन दिवस’ (Fuel day) के रूप में मनाया ताकि इसका विस्तार ज्यादा से ज्यादा हो सके।
इस कानून से जहाँ लोगों को नुकसान पहुँचा, वहीं अब दिल्लीवासी अपने वाहनों को सी.एन.जी. में परिवर्तित करवा रहे हैं। दिल्ली में हर माह 25% सी. एन. जी. वाहन धारकों की वृद्धि हो रही है। दिल्ली में सर्वप्रथम 9 सी.एन. जी. पम्प थे जो पिछले साल 47 हो गए और गत साल के अंत तक 80 हो जाने की संभावना है।
सी.एन.जी. से हमें बहुत फायदा भी पहुँचा है। सबसे पहले तो यह सबसे सस्ता इंधन है एवं दूसरा इससे प्रदूषण नहीं होता। इससे लगभग 95% प्रदूषण कम किया जा सकता है। सी.एन.जी. के द्वारा हमने प्रदूषण के कणों को कम कर दिया है। सी.एन. जी. के द्वारा नए एवं आधुनिक प्रकार के उपकरणों की संरचना की जा रही है ताकि इसका उपयोग ज्यादा ज्यादा किया जा सके।
अत्यधिक खपत के अनुरूप सी.एन.जी. न होने के कारण लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। परन्तु आई.जी. एल. उच्च अधिकारियों का कहना है कि वह सी.एन.जी. जल्द से जल्द मुहैया करवाएंगे। इसके लिए वे नए पाइप लाईन की व्यवस्था कर रहे हैं।