कविता : सब धर्म हों समान, हो सबका सम्मान
सब धर्म हों समान, हो सबका सम्मान
रोज तो कई जुबानों से सुना है,
कि मेरा भारत महान है।
आज धर्म के नाम पर उठ रहा तूफान है,
कोई सिक्ख, कोई हिन्दू, तो कोई मुस्लमान है।
धर्म के नाम पर भेदभाव क्यों करता आज इंसान है,
एक गगन के नीचे रहते तो सबका एक भगवान है।
इंसान के खून का प्यासा आज इंसान है,
कल तक था जो नर, आज वो हैवान है।
बचपन में सुना था कि माता- पिता भगवान हैं,
आज वो पछताते उनकी ऐसी क्यों संतान है।
कल तक नारी का था सम्मान आज करते उसका अपमान हैं।
हो नारी का सम्मान जहाँ, नारी पूजी जाए जहाँ ।
ऐसा है मेरे सपनों का भारत ।