संवाद लेखन : कछुआ और दो हंसों के बीच संवाद
कछुआ और दो हंसों के बीच संवाद
कछुआ : भाइयो! झील का पानी सूखने वाला है। दो-चार दिन बाद यह पानी इतना भी नहीं रहेगा, जितना अब है।
हंस एक : हाँ भाई कछुए! और पानी के बिना हम कैसे जिएँगे! तुम भी पानी के अंदर रहते हो और हम भी नदी का किनारा नहीं छोड़ सकते।
हंस दो : पानी के बिना तो हम मर जाएँगे। इस वर्ष इतना सूखा पड़ा है, जितना पहले कभी नहीं पड़ा था।
कछुआ : (चिंतित भाव से) अब क्या करें! अपनी जान कैसे बचाएँ।
हंस एक : हम तो भाई उड़ने वाले प्राणी हैं। उड़कर किसी और देश में चले जाएँगे। तुम क्या करोगे? तुम तो उड़ भी नहीं सकते।
हंस दो : पर हमारे साथ एक परेशानी है, कछुए भैया। हमारा तुम्हारा वर्षों पुराना साथ है। हम तुम्हें अकेला छोड़कर नहीं जाना चाहते।
हंस एक : और ऐसा कोई उपाय भी नहीं है कि हम तुम्हें अपने साथ ले जाएँ।
कछुआ : (चिंता के साथ दोनों हंसों की बात सुनते हुए) क्या तुम सचमुच मुझे अकेला छोड़कर चले जाओगे?
हंस एक : हम नहीं चाहते कछुए भैया, हम ऐसा नहीं चाहते। पर इस संकट से निकलने का उपाय तो निकालो।