कविता : सपने में भी जंग न होने देंगे


अब युद्ध की चिंगारी फिर नहीं जलेगी
युद्धविहीन विश्व का सपना भंग न होने देंगे।
सपने में भी जंग न होने देंगे।

हथियारों के ढेरों पर जिनका है डेरा,
मुँह में शांति, बगल में बम, धोखे का है फेरा
दुनिया जान गई है उनका असली चेहरा
कामयाब हों उनकी चालें, दंगे न होने देंगे।

सपने में भी जंग न होने देंगे।
हमें चाहिए शांति, जिंदगी हमको प्यारी
हमें चाहिए शांति, सृजन की है तैयारी

हमने छेड़ी जंग भूख से,
बीमारी से आगे आकर
हाथ बटाए दुनिया सारी

हरी-भरी धरती को खूनी रंग न लेने देंगे।
सपने में भी जंग न होने देंगे।