24 जनवरी 1950 का ऐतिहासिक दिन, जब “जन गण मन” बना राष्ट्रगान

24 जनवरी, 1950

इसी दिन संविधान सभा ने जन गण मन को भारत के राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार किया था। इसके पहले इसे 27 दिसंबर, 1911 को कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में गाया गया था।

रवीन्द्र नाथ टैगोर ने इसे मूलतः बांग्ला में लिखा था। बाद में हिंदी में इसका अनुवाद किया गया।

जन गण मन के गायन की अवधि लगभग 52 सेकंड है। पूरे गाने में 5 पद हैं। राष्ट्रगान देशप्रेम से पूर्ण संगीत रचना होती है। इसमें देश के इतिहास, सभ्यता, संस्कृति और उसकी जनता के संघर्ष की व्याख्या की जाती है।

सबसे पुराना राष्ट्रगान ब्रिटेन का ‘गॉड सेव द क्वीन’ है। इसे 1825 में राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार किया गया था 19वीं और 20वीं सदी की शुरुआत में कई यूरोपीय देशों ने इसका अनुसरण किया।

भारत भी इस मामले में ब्रिटेन से प्रभावित रहा। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रगान में 5 देशों की 11 भाषाओं के शब्द हैं। इस में चार पद हैं।

रविंद्र नाथ टैगोर इकलौते कवि हैं, जिन्होंने दो देशों के लिए राष्ट्रगान लिखा। उनकी रचना ‘आमार शोनार बांग्ला’ बांग्लादेश का राष्ट्रगान है।

राष्ट्रगान के बोल इस प्रकार हैं।

जन-गण-मन अधिनायक जय हे
भारत-भाग्य-विधाता
पंजाब-सिन्ध-गुजरात-मराठा
द्राविड़-उत्कल-बंग
विन्ध्य-हिमाचल, यमुना-गंगा
उच्छल जलधि तरंग
तव शुभ नामे जागे
तव शुभ आशिष मांगे
गाहे तव जय गाथा
जन-गण-मंगलदायक जय हे
भारत-भाग्य-विधाता
जय हे, जय हे, जय हे
जय-जय-जय, जय हे

राष्ट्र गान का प्रकाशन सर्वप्रथम 1912 में तत्व बोधिनी पत्रिका में ‘भारत विधाता’ शीर्षक से हुआ था।