100 शब्दों की कहानी
दूसरों का कूड़ा अपने सिर पर क्यों लें…
एक आदमी टैक्सी से जा रहा था। ड्राइवर गुनगुनाते हुए सुकून से गाड़ी चला रहा था कि अचानक दूसरी कार बीच में आ गई, एक्सीडेंट होते-होते बचा। यात्री ने सोचा टैक्सी वाला कार वाले को भला-बुरा कहेगा पर इसके उलट सामने वाला चिल्लाने लगा। टैक्सी वाला मुस्कुराता रहा। यात्री ने पूछा, तुमने ऐसा क्यों किया, गलती उसकी थी। वो बोला, बहुत से लोग गार्बेज ट्रक जैसे होते हैं। जमाने का कूड़ा उठाए चलते हैं- खीझ, निराशा से भरे। अपना बोझ हल्का करने के लिए कूड़ा दूसरों पर फेंकने का मौका खोजते हैं।
हम दूसरों का कूड़ा अपने सिर क्यों लें?