हिंदी में कविता : मेरे सपनों का भारत हो सर्वगुण संपन्न
मेरे सपनों का भारत हो सर्वगुण संपन्न
मेरे सपनों का देश ऐसा भारत हो
जहाँ खुशहाल परिवार को तरह अनेक धर्म हों
पर धर्म के नाम पर बंटवारे न हों
मेरे सपनों का देश ऐसा भारत हो
जो प्रगति करे, उन्नति करे
जहाँ बड़े – बड़े उद्योग हों
कोई भी बेरोजगार ना हो
मेरे सपनों का देश ऐसा भारत हो
एक सच्चे और साफ दर्पण की तरह
जहाँ साफ सुथरी सरकार बने
कहीं भ्रष्टाचार न हो
मेरे सपनों का देश ऐसा भारत हो
किसान अन्न दाता की तरह हो
जहाँ भरपूर अन्न के भंडार हों
कोई भूखे पेट इंसान न हो।
मेरे सपनों का देश ऐसा भारत हो
जहाँ इंसानियत ही धर्म हो
भाईचारा व प्रेम की धारा बहती हो।