स्वामी विवेकानंद जी

जीवन में यदि संघर्ष न रहे, तो जीवित रहना ही व्यर्थ है

हमने अपने हाथ अपनी आंखों पर रख लिए हैं और कह रहे हैं कि सब ओर अंधेरा है। हाथ अलग करें, आपको प्रकाश दिखने लगेगा, जो पहले भी था। असफलताएं जीवन का सौन्दर्य हैं। जीवन में यदि संघर्ष न रहे, तो जीवित रहना ही व्यर्थ है। असफलताएं छोटी फिसलनें हैं। इसलिए असफलताओं की चिंता न करें, वे बिलकुल स्वाभाविक है। आदर्श को सामने रखकर हजार बार आगे बढ़ने का प्रयत्न करें। यदि आप हजार बार भी असफल होते हो, तो एक बार फिर प्रयत्न करें।

कमजोरी का इलाज कमजोरी का विचार करना नहीं बल्कि शक्ति का विचार करना है जो कि मनुष्य में पहले से ही है। 

मानवजाति के आज तक के इतिहास में महान पुरुषों और स्त्रियों के जीवन में यदि सब से बड़ी प्रवर्तक शक्ति कोई है, तो वह आत्मविश्वास है। यह एक बड़ी सच्चाई है।

शक्ति ही जीवन और कमजोरी ही मृत्यु है। 'जड़' यदि शक्तिशाली है, तो 'विचार' सर्वशक्तिमान है। इस विचार को अपने जीवन में उतारें। इच्छाशक्ति ही सब से अधिक बलवती है। इसके सामने हर एक वस्तु झुक सकती है, क्योंकि वह ईश्वर और स्वयं ईश्वर से आती है। 

परंतु इसके लिए अभ्यास अत्यावश्यक है। यदि आप प्रतिदिन घंटों बैठकर उपदेश सुनते रहें, पर उसका अभ्यास न करें तो एक पग भी आगे नहीं बढ़ सकते। यह सब अभ्यास पर ही निर्भर है।