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स्वयं सुधार

हर इंसान स्वयं सुधार के लिए जन्म से लेकर मृत्यु तक लगातार प्रयासरत रहता है। इसके लिए वक्त के साथ स्वयं को अपडेट करते रहना या स्वयं के सुधार पर काम करते रहना ही एक सकारात्मक इंसान के लक्षण हैं।

यदि आप खुश रहना चाहते हैं, तो एक लक्ष्य निर्धारित करें जो आपके विचारों को हिदायत देता है, आपकी ऊर्जा को मुक्त करता है और आपकी आशाओं को प्रेरित करता है।

सभी के पास स्वयं के उन्नयन के लिए एक ठोस कारण होना चाहिए। 

स्वयं को सुधारना एक महान चीज है। लेकिन असली समस्या तब होती है, जब वही गलत कारणों से किया जाता है। 

जैसे – यदि आप हर किसी से बेहतर बनने के लिए कुछ सीखने की कोशिश कर रहे हैं, तो यह ऐसी चूहा दौड़ है जिसका कोई अंत नहीं है।

चूंकि आप इसे कभी हासिल नहीं कर पाएंगे, तो यह याद रखिए कि आप असफलता और बदकिस्मती के लिए अपने आप को तैयार कर रहे हैं। 

लेकिन अगर आप यह इसलिए कर रहे हैं, ताकि खुद का एक बेहतर संस्करण बन सकें और अपनी वास्तविक क्षमता का पता लगाने के लिए करते हैं, तो यह आश्चर्यजनक है।

लेकिन यह भी सच है कि निरंतर सुधार की आवश्यकता हम में से अधिकांश को असंतोष की निरंतर स्थिति में लाकर छोड़ रही है।

चूँकि हम कभी संतुष्ट नहीं होते हैं और केवल एक गोलपोस्ट से दूसरे में चल रहे हैं, इसलिए आंतरिक तनाव चरम पर पहुंच गया है।

हमारी अपनी ऊंची-ऊंची उम्मीदें और अपर्याप्त आत्म मूल्यांकन और अपर्याप्तता की भावनाएं, हमारे सुधारने के जुनून को बढ़ाती हैं।

आत्म सुधार हमारी असुरक्षा का पोषण करता है। 

हम में से कितने वास्तव में खुद को पसंद करते हैं ?

जवाब होगा – शायद एक भी नहीं। हर कोई अपने आप को और बेहतर, दूसरों के मुकाबले बनाने में लगा हुआ है।

यदि आप एक संकल्प करना चाहते हैं, तो यह होना चाहिए कि आप जो हैं, उसके लिए खुद को स्वीकार करें और जो आप नहीं हैं, उस पर खुद को हराएं

कहते हैं कि निरंतर सुधार हमारे भीतर स्वतःस्फूर्त होना, प्राकृतिक होना; हर चीज की मृत्यु हो जाना है।

इसलिए सवः के साथ लड़ाई करने की बजाय, स्वयं को स्वीकार करना ज्यादा बेहतर है।

जिंदगी बहुत कीमती है और इसमें उतार चढ़ाव आते रहते हैं । इन सब से लड़ना और जिंदगी पूरी तरह से जीना एक अच्छे इंसान की निशानी है।

इसलिए एक अच्छे इंसान बनिए 