सूचना पत्र : अपने पिताजी को पत्र


अपनी दिनचर्यां बताते हुए अपने पिताजी को एक पत्र लिखिए।


परीक्षा भवन

नई दिल्ली

दिनांक : 22 सितंबर, 20XX

पूज्य पिताजी

चरण स्पर्श

आपका कृपा पत्र प्राप्त हुआ। यह मेरा पहला अवसर है कि मैं आपसे अलग हुआ हूँ, इसलिए आपका मेरे बारे में चिंतित होना स्वाभाविक है। आपने मेरी दिनचर्या के बारे में पूछा है, सो इस पत्र में मैं आपको इसकी जानकारी दे रहा हूँ। यहाँ छात्रावास में हम सभी को प्रातः पाँच बजे उठा दिया जाता है। नित्य-क्रिया से साढ़े पाँच बजे निवृत्त होकर हम सभी स्कूल के बड़े-से मैदान में पहुँच जाते हैं। वहाँ शुरू होता है व्यायाम का दौर। हम सभी साथ मिलकर व्यायाम करते हैं और खेलते भी हैं। एक घंटा बीत जाने पर हम सभी फिर अपने-अपने कमरों में पहुँच जाते हैं। साढ़े छः बजे से सात बजे के बीच स्नान कर हम बिलकुल तैयार हो जाते हैं।

सात बजे नाश्ते की घंटी बजती है। आधे घंटे में वहाँ से निवृत्त होकर हम फिर अपने कमरे में चले आते हैं और फिर एक घंटे के लिए पढ़ाई करते हैं। साढ़े आठ बजे हमारा स्कूल शुरू हो जाता है। दोपहर बारह बजे की ब्रेक में हम फिर यहीं आकर खाना खाते हैं और फिर साढ़े बारह बजे तक वापस स्कूल में पहुँच जाते हैं। साढ़े तीन बजे स्कूल की छुट्टी हो जाती है। फिर अपने कमरे में आकर हम आराम करते हैं। पाँच बजे नाश्ते की घंटी बजती है। नाश्ता करने के बाद सात बजे तक का समय हमारे खेलने के लिए निश्चित है। सात से नौ बजे तक अध्ययन करने के पश्चात रात का खाना खाया जाता है और रात दस बजे सभी छात्रों को अनिवार्य रूप से सो जाना पड़ता है।

पिताजी, हमारे छात्रावास के अधीक्षक हमारा बहुत ख्याल रखते हैं और हमें किसी प्रकार की तकलीफ़ नहीं होने देते। मैं अपने आप को यहाँ स्वस्थ महसूस करता हूँ। मेरा मन भी यहाँ लग गया है। क्रिसमस की छुट्टियों में मैं घर आऊँगा। माताजी को मेरा प्रणाम कहना तथा छोटे भैया को प्यार।

आपका प्रिय पुत्र

क० ख०ग०