सुख और दुःख में एकरूपता


काम की समाप्ति यदि संतोषजनक हो तो परिश्रम की थकान नहीं होती।

•  वृक्ष के समान बनो जो कड़ी गर्मी झेलने के बाद भी सबको छाया देता है।

विश्व महापुरुष को खोजता है न कि महापुरुष विश्व को।

प्रत्येक व्यक्ति की रुचियां एक-दूसरे से भिन्न होती हैं।

जल आग की गर्मी से गर्म हो जाता है पर वास्तव में उसका स्वभाव ठंडा है।

गुणों से ही व्यक्ति की पहचान होती है।

कोई वस्तु पुरानी होने से अच्छी नहीं हो जाती और न ही कोई काव्य नया होने से निंदनीय हो जाता है।

सज्जन पुरुष बिना कहे ही दूसरों का भला करते हैं, जिस प्रकार सूर्य घर-घर जाकर प्रकाश देता है।

• जिस प्रकार बड़ा छेद हो या छोटा, वो नाव को डुबो ही देता है, उसी तरह दुष्ट व्यक्ति की दुष्टता उसे बर्बाद कर देती है।

• जिस प्रकार जब सूरज निकलता है तब लालिमायुक्त होता है और अस्त होता है तब भी लालिमायुक्त ही होता है। इसी प्रकार महापुरुष भी सुख और दुःख में एकरूपता रखते हैं।

महाकवि कालिदास