सहयोग के लिए ‘धन्यवाद’ कहना सीखना होगा।
साहिल और निशा में रोज किसी न किसी बात पर लड़ाई झगड़ा होता था।
फिर एक दिन बहुत असामान्य घटना हुई।
साहिल ने निशा से कहा – निशा, क्या तुम्हें पता है, मेरे पास एक जादुई दराज है। जब मैं इसे खोलता हूँ, वह साफ मौजे, रुमाल और अंडरगारमेंट्स के साथ भरा हुआ होता है। इतने सालों से यह काम करने के लिए बहुत शुक्रिया।
निशा ने अपने पति को घूर कर देखा और पूछा – तुम्हें मुझसे क्या चाहिए साहिल ?
साहिल – कुछ नहीं चाहिए, मैं तो तुम्हें यह बताना चाहता हूँ कि मैं अपने जादुई दराज के लिए तुम्हारा आभारी हूँ।
निशा इस बात को जल्दी ही भूल गई।
एक शाम साहिल ने कहा – निशा आज डिनर बहुत अच्छा बना है। मुझे लगता है कि इन 15 सालों में तुमने मेरे लिए और बच्चों के लिए 14 हजार से ज्यादा बार नाश्ता, लंच और डिनर बनाया होगा।
निशा को चिंता होने लगी कि साहिल उसकी गलतियां क्यों नहीं निकाल रहा ? आलोचना क्यों नहीं कर रहा ?
पति का ऐसा व्यवहार उसे अजीब लग रहा था।
पर साहिल ने सकारात्मक पक्ष की तरफ ध्यान कायम रखा। धीरे-धीरे निशा को भी साहिल के इस व्यवहार की आदत हो गई।इससे निशा का उत्साह और आत्मविश्वास बढ़ने लगा।
एक दिन निशा ने कहा – तुम्हारा बहुत – बहुत शुक्रिया साहिल कि तुमने इतने सालों तक परिवार के लिए मेहनत की और हमारी सुख-सुविधाओं का ध्यान रखा।
इस तरह उन दोनों को एक-दूसरे की खूबियां दिखाई देने लगी। अब दोनों की जिंदगी प्यार और खुशियों से भर गई थी।
हमें एक – दूसरे को सहयोग के लिए ‘धन्यवाद’ कहना सीखना होगा।