समाचार पत्र के संपादक को पत्र


फिल्म जगत में बढ़ती हिंसा प्रधान फिल्मों को देखकर युवा-मन पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों की चर्चा करते हुए किसी प्रसिद्ध दैनिक समाचार पत्र के सम्पादक को एक पत्र लिखिए।

सेवा में,

सम्पादक,

हिन्दुस्तान टाइम्स,

नई दिल्ली।

दिनांक ………………..

विषय- किशोर वर्ग पर हिंसा एवं अपराध प्रधान फिल्मों के बढ़ते दुष्प्रभावों के सन्दर्भ में।

महोदय,

मैं आपके लोकप्रिय समाचार पत्र के माध्यम से सरकार और समाज का ध्यान हिंसा प्रधान फिल्मों के युवाओं पर पड़ते दुष्प्रभावों की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। आजकल सिनेमा जगत में हिंसा प्रधान फिल्में बनाने की होड़ सी लग गई है। दूरदर्शन के विभिन्न चैनलों से भी समय- समय पर उन फिल्मों का प्रदर्शन होता रहता है। ऐसा लगता है कि सरकार का इन पर कोई नियन्त्रण ही नहीं रह गया है। युवा वर्ग यहाँ तक कि किशोरों और बाल मन पर इसका कितना दुष्प्रभाव पड़ रहा है शायद इसकी कल्पना भी कार्यक्रम प्रसारण कर्ताओं को नहीं है। कई बार कुछ ऐसे उदाहरण सामने आए हैं, जिनमें लूटपाट, चोरी-डकैती और हिंसक घटनाओं का मुख्य कारण इन फिल्मों में दी गई जानकारी ही रही है। फिल्मों में यह भी दर्शाया जाता है कि किस प्रकार अपराधी आसानी से पुलिस और कानून को चकमा दे देते हैं। यह उचित नहीं है क्योंकि युवा वर्ग बुराई की ओर जल्दी आकर्षित होता है। अतः इस प्रकार की फिल्मों के प्रसारण पर रोक लगाना अत्यन्त आवश्यक है।

आपके विश्वसनीय समाचार पत्र के माध्यम से मेरा सरकार के ‘सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय’ से अनुरोध है कि वह अपनी नीति में उपयुक्त सुधार कर इन बढ़ती हिंसा प्रधान फिल्मों पर रोक लगाएँ ताकि हमारे देश के किशोर एवं युवा वर्ग इसके भयानक दुष्प्रभावों से मुक्त रह सकें।

धन्यवाद सहित

भवदीय,

अ ब स

गोल मार्केट

नई दिल्ली