समरूप शब्द : शंका – आशंका – संभावना
भिन्न हैं समरुपी शब्दों के अर्थ
हिंदी भाषा में कुछ शब्द समानार्थी लगते हैं किंतु उनके अर्थ में भिन्नता होती है। यानी कि समरुपी और समानार्थी प्रतीत होने वाले शब्द। ऐसे कई शब्द है जिनका इस्तेमाल हम अक्सर करते हैं परंतु गलत शब्दों का चुनाव करने के कारण वाक्य के मायने बदल जाते हैं या कई बार उनके मायने ही नहीं होते। जानिए समानार्थी लगने वाले शब्द और उनके बीच का अंतर :
शंका – आशंका – संभावना
शंका – आशंका, संभावना जैसे शब्दों का इस्तेमाल एक-समान भावों के लिए किया जाता है, जबकि इन शब्दों के मायने और स्थितियां अलग-अलग हैं।
शंका शब्द का इस्तेमाल वर्तमान के लिए किया जाता है। उदाहरण के तौर पर ‘मुझे आपकी इस बात पर शंका है।’ वर्तमान में आपत्ति, संदेह या कुछ गड़बड़ की भावना हो तो शंका होती है।
भविष्य में कुछ अमंगल की भावना पैदा होती है तो यहां शंका के बजाय आशंका का इस्तेमाल किया जाएंगा।
उदाहरण के तौर पर ‘पड़ोसी देशों के मनमुटाव को देखकर युद्ध की आशंका पैदा हो रही है।’
इसी तरह संभावना और आशंका शब्द के इस्तेमाल में भी अंतर है। संभावना शब्द का इस्तेमाल सामान्य भाव के लिए किया जाता है और आशंका नकारात्मक भाव के लिए। मिसाल के तौर पर ‘दोस्ती होने की संभावना’ और ‘झगड़ा होने की आशंका।’