समरूपी शब्द


भिन्न हैं समरुपी शब्दों के अर्थ


हिंदी भाषा में कुछ शब्द समानार्थी लगते हैं किंतु उनके अर्थ में भिन्नता होती है। यानी कि समरुपी और समानार्थी प्रतीत होने वाले शब्द। ऐसे कई शब्द है जिनका इस्तेमाल हम अक्सर करते हैं परंतु गलत शब्दों का चुनाव करने के कारण वाक्य के मायने बदल जाते हैं या कई बार उनके मायने ही नहीं होते। जानिए समानार्थी लगने वाले शब्द और उनके बीच का अंतर :


नमस्ते और नमस्कार


‘नमस्ते का अर्थ है’ मैं आपको नमन करता हूँ। क्योंकि नमस्कार शब्द, वाक्य और क्रिया है अभिवादन के लिए नमस्ते एक ही व्यक्ति को बोलना। यदि दो लोग मौजूद हैं तो उनको अलग-अलग नमस्ते बोलें। नमस्ते एक वाक्य है इसलिए हम नमस्ते करते नहीं हैं ‘बोलते हैं।’ उदाहरण के तौर पर ‘नमस्ते करो’ अशुद्ध प्रयोग है, इसके बजाय कहना चाहिए ‘नमस्ते बोलो।’ नमस्ते दो शब्दों का एक वाक्य है, इसलिए इसके भेद नहीं हैं।

वहीं ‘नमस्कार’ एक नमन की क्रिया है जिसका अर्थ है ‘ मैं नमस्कार कर रहा हूं।’ इसमें एक व्यक्ति या दो से अधिक व्यक्तियों को भी नमस्कार कर सकते हैं। नमस्कार शब्द और वाक्य है, साथ ही नमन करने की क्रिया भी है इसलिए नमस्कार ‘ करते हैं।’ किंतु हम नमस्ते कहकर नमस्कार कर सकते हैं।

क्योंकि नमस्कार शब्द, वाक्य और क्रिया है, इसलिए इसके तीन भेद भी हैं:

कायिक – इसका अर्थ है शरीर संबंधी। जब हाथ जोड़कर, सिर झुकाकर और घुटनों पर बैठकर पैर छूते या सिर झुकाते हैं तो यह कायिक नमस्कार है यानी शरीर के अंगों से किया गया नमस्कार है।

वाचिक – अगर सिर्फ मुख से नमस्ते, नमस्कार कहते हैं, तो वह वाणी द्वारा किया गया नमस्कार है।

कायिक और वाचिक नमस्कार साथ में होता है, जैसे कि हाथ जोड़कर, सिर झुकाकर हम नमस्ते बोलते हैं

मानस – जो मन ही मन कहा जाए वो मानस नमस्कार है।