समय के साथ ख्वाहिशें बदलना शुरू हो जाती हैं।


मनुष्य ज्यादातर मुश्किल निर्णय ऐसी स्थिति में लेता है, जो लंबे वक्त तक नहीं रहती है।

• बुद्धि कभी किसी से मिल नहीं सकती, न ही आप इसे किसी से उधार ले सकते हैं।

चीजों को अलग नजरिए से देखना भी नई खोज करने जैसा है।

मनुष्य अपनी ख्वाहिशों या जरूरतों के मुताबिक चीजों को बदल नहीं सकता, लेकिन समय के साथ उसकी ख्वाहिशें जरूर बदलना शुरू हो जाती हैं।

जब तक हम दुःख का अनुभव पूरी तरह से न कर पाएं तब तक हम उसका समाधान भी नहीं निकाल पाएंगे।

ज्यादातर समझदार लोग साधारण बातों को साधारण तरीके से कहने में विफल होते हैं।

• चीजों की गहराई में उतरने से डरें नहीं, क्योंकि सच हमेशा सबसे नीचे ही कहीं दबा होता है।

• हमें खुशी देने वालों के प्रति हमेशा कृतज्ञ रहें। वे हमारी आत्मा को फूलों की तरह खिलाने वाले बागवान जैसे होते हैं।

मार्सेल प्रूस्त