सद्भावना पत्र : छोटे भाई को पत्र


कुसंगति से बचने की शिक्षा देते हुए अपने छोटे भाई को पत्र लिखिए।


27, मॉडल टाउन

दिल्ली

दिनांक : 1 जून, 20XX

प्रिय सूरज

शुभाशीष

आज ही पिताजी का पत्र प्राप्त हुआ। पत्र से ज्ञात हुआ कि आजकल तुम पढ़ाई पर ध्यान न देकर बुरे दोस्तों की संगति में अपना समय बर्बाद कर रहे हो। पिताजी के द्वारा चिंता करना स्वाभाविक है। सूरज, तुम्हें ज्ञात होना चाहिए कि कुसंगति पैरों में पड़ी वह बेड़ी है, जिसमें जकड़कर मनुष्य की प्रगति पंगु हो जाती है। मनुष्य की सही पहचान उसके मित्र ही होते हैं। यदि तुम बुरे मित्रों के साथ रहोगे, तो उनके दुष्प्रभावों से बच नहीं सकते। समय बहुत मूल्यवान है। बीता समय फिर लौटकर नहीं आता। ‘अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत’ वाली उक्ति तो तुम्हें ध्यान होगी। इसलिए समय रहते ही सँभल जाने में तुम्हारी भलाई है। जिन्हें तुम मित्र समझ रहे हो, वे वास्तव में तुम्हारे शत्रु हैं। ये तुम्हें कहीं का नहीं छोड़ेंगे।

अभी भी देर नहीं हुई है। परीक्षाएँ तीन महीने बाद शुरू होने वाली हैं। इसलिए अपने इन तथाकथित मित्रों से विदा लो और अपने भविष्य को सँवारने में जुट जाओ। मुझे विश्वास है कि तुम हम सभी को निराश नहीं करोगे और न ही भविष्य में फिर शिकायत का अवसर दोगे।

तुम्हारा भाई

रवि