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- कर्मों के फल का कॉन्सेप्ट हमारी रग-रग में बसा है कि आज जो मैं हूं, वो मेरे कर्मों का फल है। कल जो होगा, वो आज के आचार और व्यवहार का फल होगा। बीते हुए कल का तो कुछ नहीं हो सकता, कष्ट भुगतना पड़ेगा। मगर कल क्या फल मिलेगा, वो मेरे हाथ में है।
- मदद का ढिंढोरा न पीटें, देकर भूल जाना ही सही है।
- अपनी इच्छाओं पर अनुशासन ही आपके चरित्र का आधार है।
- मुश्किल वक्त हमारे लिए आईने की तरह होता है, जो हमें हमारी क्षमता का सही एहसास दिलाता है।
- यदि आप हमेशा सच कहते हैं तो आपको कुछ याद रखने की जरूरत नहीं रहेगी।
- भगवान पर भरपूर भरोसा रखने का मतलब अकर्मण्यता बिल्कुल नहीं है।
- जब आप त्याग करते हैं तो विषयों से मुक्त हो जाते हैं और जब आप वैराग्य पाल लेते हैं तो वासनाओं से मुक्त हो जाते हैं।
- अर्थपूर्ण शांति अर्थहीन बातों से अच्छी होती है।