संवाद लेखन : प्रदूषण की समस्या पर
प्रदूषण की समस्या पर चिंता प्रकट करते हुए आकाश और नितिन के मध्य संवाद
आकाश : कहो मित्र, कैसे आना हुआ?
नितिन : यार, मेरी गाड़ी का टायर पंक्चर हो गया है। दफ्तर जाने में देर हो रही है।
आकाश : अरे, तो चिंता की कोई बात नहीं। हमारा दफ्तर तुम्हारे दफ्तर के पास ही तो है। मेरे साथ चलो।
नितिन : यार, मैं बहुत दिनों से एक बात कहने की सोच रहा था।
आकाश : हाँ, बोलो तो आपस में झिझक कैसी?
नितिन : मैं सोच रहा था कि क्यों न हम एक साथ एक ही गाड़ी में जाएँ।
आकाश : अरे, तुमने तो मेरे मुँह की बात छीन ली? मैं तो यही सोच रहा था?
नितिन : हमारे दफ्तर में आए दिन यही चर्चा हो रही है कि प्रदूषण की समस्या से कैसे निपटा जाए?
आकाश : लंच टाइम में हमारे दफ्तर में भी रोज का यही किस्सा है।
नितिन : बढ़ते प्रदूषण से हम अपनी आनेवाली पीढ़ी को प्रदूषण मुक्त स्वच्छ वातावरण देने में कैसे सफल हो सकते हैं?
आकाश : बात तो तुम सही कह रहे हो?
नितिन : अगर सभी लोग इसी तरह कारें या मेट्रो का उपयोग कर कम वाहन प्रयोग करें तो हम कुछ मात्रा में तो प्रदूषण कम कर सकते हैं।
आकाश : तो फिर तय रहा। इस सप्ताह गाड़ी मैं ले जाऊँगा। अगले सप्ताह तुम्हारी बारी।
नितिन : बहुत-बहुत धन्यवाद! तुमने मेरी बात स्वीकार कर ली।