संवाद लेखन : बढ़ती हुई महंगाई के विषय में


बढ़ती हुई महँगाई के विषय में पूनम और कुसुम के बीच संवाद


पूनम : कुसुम ! क्या तुमने आज का अखबार पढ़ा?

कुसुम : हाँ, बढ़ती महँगाई ने तो दिल्लीवालों का जीना हराम कर दिया है।

पूनम : अरे! तुमने पढ़ा, दूध की कीमत में और ऑटोरिक्शा के किराए में कितनी बढ़ोतरी हुई है।

कुसुम : सरकार आम जनता को मूर्ख समझती है। पेट्रोल के दाम घटाकर रोजमर्रा की चीज़ों के दाम बढ़ा दिए।

पूनम : बेचारे गरीब बच्चों का क्या होगा। जो थोड़ा-बहुत दूध उन्हें नसीब होता था। वह भी उन्हें अब मिलने से रहा।

कुसुम : जब भी महँगाई बढ़ती है ज्यादा असर निम्नवर्ग व मध्यमवर्ग पर पड़ता है। अमीर लोगों पर इसका असर नहीं होता।

पूनम : नहीं, ऐसी बात नहीं है। असर उन पर भी होता है। पर आय अधिक होने से उन पर महँगाई की मार का असर उतना नहीं होता जितना गरीबों पर होता है।

कुसुम : ऑटोवाले पहले भी मनमानी करते थे, अब भी करेंगे। लेकिन सरकार को रोजमर्रा की चीज़ों के दाम ज्यादा नहीं बढ़ाने चाहिए।

पूनम : हाँ, मैं तुम्हारी बात से बिलकुल सहमत हूँ। इधर सरकार गरीबी हटाओ के नारे लगाती है उधर महँगाई बढ़ाती है, ऐसे में आम जनता करे भी तो क्या।

कुसुम : हालत यही रही तो आम आदमी का दिल्ली में रहना ही मुश्किल हो जाएगा।

पूनम : हाँ, बिलकुल सही कह रही हो। अच्छा, मैं चलती हूँ। बच्चों की बस का समय हो गया है।

कुसुम : ठीक है।