संवाद लेखन : दो छात्राओं के बीच
लाउडस्पीकर के बढ़ते शोर पर दो छात्राओं के मध्य संवाद
किरण : उदिति, आजकल पड़ोस में लाउडस्पीकर का शोर कितना बढ़ता जा रहा है।
उदिति : हाँ, कल मुझे गृहकार्य करना था, शोर के कारण मुझे बहुत परेशानी हो रही थी।
किरण : ठीक, ऐसा ही मेरा हाल था।
उदिति : मैं अपने पाठ्यक्रम को ध्यान से पढ़ नहीं पाई। मुझे जल्दी ही सोना पड़ा। काम अधूरा रह गया।
किरण : मेरा भी हिंदी का काम छूट गया था, मैंने स्कूल जाकर पूरा किया।
उदिति : मैंने तो अपने माता-पिता से कह दिया कि आप सोसाइटी के अध्यक्ष अरोड़ा अंकल से बात क्यों नहीं करते?
किरण : हाँ, जब सरकार द्वारा दस बजे तक लाउडस्पीकर का प्रयोग करने की अनुमति है तो फिर देर रात डी.जे., लाउडस्पीकर का शोर क्यूँ?
उदिति : बात तो तुमने सही कही है, मैंने यही बातें अपने माता-पिता से भी कही हैं।
किरण : लाउडस्पीकर से न तो बीमार लोग आराम कर सकते हैं, न ही पढ़ने वाले बच्चे ठीक से पढ़ पाते हैं।
उदिति : इस समस्या के समाधान हेतु कोई न कोई उपाय तो करना ही पड़ेगा।
किरण : मैं तो सोसाइटी के अन्य लोगों से इस विषय में बात करूंगी ताकि इस समस्या का समाधान जल्दी हो।
उदिति : ठीक है, मैं चलती हूँ। मेरा अभी काम बाकी है।
किरण : अच्छा, मैं भी चलती हूँ।