मालिन, सेविका और महारानी के बीच संवाद
महारानी (एक सेविका से) : मालिन कहाँ है? जरा बुला तो सही, उस मालिन की बच्ची को।
मालिन : (डरती हुई सेविका के साथ महारानी के चरणों में शीश नवाते हुए) आदेश हो महारानी।
महारानी : अरी तू मालिन है कि नागिन?
मालिन : जो भी हूँ हुजूर की सेविका हूँ, राजमाता!
महारानी : सेविका नहीं है तू, जान की दुश्मन है हमारी।
मालिन : हे भगवान्, हे भगवान यह क्या कह रही हैं राजमाता! मेरा अपराध तो बताइए।
महारानी : अब अपराध पूछ रही है। चोरी और सीना जोरी। देख हमारे शरीर पर नील पड़ गए हैं। हम रात भर सो नहीं सके।
एक सेविका : ऐसा क्यों हुआ राजमाता!
दूसरी सेविका : ऐसा क्यों हुआ राजमाता!
तीसरी सेविका : स्वास्थ्य तो ठीक है राजमाता का?
चौथी सेविका : कोई चिंता तो नहीं राजमाता आपको?
महारानी : अरी, चिंता-विंता नहीं। इस मालिन के कारण हम रात-भर सो नहीं सके। करवट पर करवट बदलते रहे। जगह-जगह से हमारी छाल छिल गई है।
मालिन : क्षमा माँगती हूँ राजमाता! क्षमा माँगती हूँ।
एक सेविका : क्या मालिन फूलों की सेज सजाना भूल गई थी राजमाता?
महारानी : नहीं, यह निर्दयी फूलों की सेज लगाना तो नहीं भूली पर ऐसे फूल चुनकर लाई, जिनसे हमारे सारे शरीर पर नील पड़ गए।