शिक्षा 📖 का अर्थ है – अपने अधिकार एवं कर्तव्यों का बोध होना।

असली शिक्षा वही है, जिससे बच्चे जीवनभर खुद को शिक्षित करते रहने में सक्षम बनें।

मधुमक्खियों को निमंत्रित नहीं करना पड़ता। वे खिले फूल पर दौड़कर आती हैं। उसी प्रकार शिक्षा हमें खिले हुए फूल की तरह काबिल बनाती है। उसी शिक्षा से, हमारे भीतर विवेक का जागरण होता है, जो सही-गलत की पहचान करना सिखाता है।

अगर हम शिक्षित हैं और अपने अधिकारों को जानते हैं तो उम्मीद की जाती है कि हम कम से कम सामाजिक व्यवहार में तो अपने कर्तव्य जानें। वर्ना हम पूरा सिस्टम बिगाड़ देंगे।

शिक्षा किसलिए है ? यह प्रश्न सभी को स्वयं से करना चाहिए।

क्या यह ज्ञान की खोज के लिए है ?

या महत्व की खोज के लिए ?

ज्ञान तो एक साधन मात्र है। अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया या न्यूज़ीलैंड में भी कोई होगा जिसके पास आपके जैसी डिग्री होगी। आपमें और उसमें अंतर यह है कि आप इसका उपयोग कैसे करते हैं ?

इससे फर्क नहीं पड़ता कि आपने किस यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। बेशक अच्छा इंसान होना ही इस कलयुग में सबसे बड़ी योग्यता है।

साधक को प्रभु के सच्चे नाम के साथ जोड़कर भव सागर से पार उतरने का ज्ञान करवाने वाले को पूर्ण गुरू कहते हैं।

जीवन में कुछ भी करने के लिए उसे करने का जुनून होना अतिआवश्यक है।

कलियुग का सबसे बड़ा पाप ग्राहक के जीवन और स्वास्थ्य को दाँव पर लगाकर पैसा कमाना है। अगर कोई अपने ग्राहकों को अच्छा स्वास्थ्य नहीं दे सकता, तो उसे बिज़नेस करने का कोई अधिकार नहीं है। यह सिखाना भी हमारी शिक्षा का हिस्सा होना चाहिए।