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शांत मन ही संसार में शांति कायम कर सकता है।


हर यात्रा की एक गुप्त मंजिल भी होती है, जिससे यात्री अक्सर अनजान ही रह जाता है।

हर चीज आंतरिक बदलाव पर निर्भर करती है। जब ऐसा होता है तभी दुनिया बदलती है।

जब मनुष्य का मन शांत होगा तभी वह पूरी दुनिया में शांति कायम कर सकेगा।

जो मानते हैं वही कहें, और वही करें जो कहते हैं, तभी हम पूरे हो पाएंगे।

शुद्धिकरण का स्थान है एकांत।

प्रेम करने वाला ईश्वर के नजदीक आता है।

अहंकारी के अंदर ईश्वर के लिए कोई स्थान नहीं हो सकता।

जब दो लोगों के रिश्ते का आधार भरोसा और मानवता होता है तो ईश्वर इसमें ऊर्जा भरते हैं।

ईश्वर ने इतने अलग-अलग तरह के लोग बनाए हैं, वो पूजा के लिए केवल एक ही तरीके की इजाजत कैसे दे सकते थे?

• धारणाएं बदलनी चाहिए। हमें खोज करते हुए जीना चाहिए। हर चीज के लिए तैयार रहना चाहिए। लगातार छान-बीन करनी चाहिए।

मार्टिन बूबर