विष्णु भगवान का वाहन गरूड़ और लक्ष्मी जी का वाहन उल्लू

माना जाता है कि गिद्धों (गरूड़) की एक प्रजाति ऐसी थी, जो बुद्धिमान मानी जाती थी और उसका काम संदेशों को इधर से उधर ले जाना होता था। भगवान विष्णु का वाहन है गरूड़।

प्रजापति कश्यप की पत्नी विनीता के 2 पुत्र हुए – गरूड़ और अरुण। गरुड़ जी विष्णु जी की शरण में चले गए और अरुण जी सूर्य के सारथी हुए।


लक्ष्मी जी का वाहन उल्लू

पशु-पक्षियों में लक्ष्मी जी का वाहन बनने की होड़ थी। तभी लक्ष्मी जी ने कहा कि कार्तिक अमावस्या के दिन मैं पृथ्वी पर आती हूँ। जैसे ही लक्ष्मी जी धरती पर पधारी, उल्लू ने अंधेरे में अपनी तेज नज़रों से उन्हें देखा और उनके समीप पहुंच गया तो उन्होंने उल्लू को अपना वाहन स्वीकार कर लिया।


माँ सरस्वती का वाहन हंस

हंस पवित्र, जिज्ञासु और समझदार पक्षी होता है। ज्ञान की देवी सरस्वती के लिए सबसे बेहतर वाहन हंस ही हो सकता था। माँ सरस्वती का हंस पर विराजमान होना यह बताता है कि ज्ञान से ही जिज्ञासा को शांत किया जा सकता है। ज्ञान से ही जीवन में पवित्रता, नैतिकता, प्रेम और सामाजिकता का विकास होता है।


  • क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है, जब बुद्धि व्यग्र होती है, तब तर्क नष्ट हो जाता है, जब तर्क नष्ट हो जाता है, तब व्यक्ति का पतन हो जाता है।–श्रीमद भगवत गीता
  • एक समय आता है, जब मनुष्य अनुभव करता है कि थोड़ी सी मनुष्य की सेवा करना लाखों जप-ध्यान से कहीं बढ़कर है। –स्वामी विवेकानंद
  • सत्य के लिए सब कुछ त्यागा जा सकता है, पर सत्य को किसी भी चीज़ के लिए छोड़ा नहीं जा सकता, उसकी बलि नहीं दी जा सकती। – स्वामी विवेकानंद