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वाद-विवाद प्रतियोगिता


वाद-विवाद प्रतियोगिता मौखिक अभिव्यक्ति की ऐसी विधा है, जिसमें वक्ता किसी विषय के पक्ष अथवा विपक्ष में अपने श्रृंखलाबद्ध भाव अपनी तर्क पूर्ण शैली में प्रस्तुत करके अपने मत को प्रतिपादित करता है।

इससे ‘भाषा कुशलता’ में वृद्धि होती है।

इसमें प्रत्येक छात्र बड़ी रुचि से हिस्सा लेने का प्रयास करता है।

संत तुलसीदास के रामचरितमानस में और कविवर केशव की रामचंद्रिका में ‘परशुराम-लक्ष्मण संवाद’ अत्यंत रोचक बन पड़े हैं।

ऐसे ही रायकृष्ण दास कृत ‘सागर-मेघ’ और ‘कोयला-हीरा’ के संवाद छात्रों को बहुत रुचिकर लगते हैं।

इस विधा के माध्यम से प्रतियोगी छात्र अपने विपक्ष के साथियों के विचारों का खंडन करने और अपने कथन की पुष्टि करने के लिए पुरज़ोर बहस करना सीख जाता है।

इस विधा में संभाषण एवं भाषण से पर्याप्त अंतर रहता है।