वाणी का महत्त्व : मधुर भाषण
अनुच्छेद लेखन – वाणी का महत्त्व : मधुर भाषण
बात करते समय किसी के मन को मोह लेने की मोहिनी शक्ति का नाम मधुर भाषण है। किसी की बड़ाई करते हुए लोग कहते हैं कि अमुक व्यक्ति बात करता है तो मानो मिसरी घोल देता है। दूसरा व्यक्ति एक अन्य व्यक्ति की प्रशंसा करता हुआ कहता है कि उसकी वाणी से तो मानो फूल झड़ते हैं। यह मिसरी बोलना और फूल झड़ना मीठी वाणी के ही संकेत हैं।
व्यक्ति द्वारा बोले गए मधुर-कोमल शब्द जहाँ मित्रता का विस्तार करते हैं, वहीं कटु-कठोर शब्द शत्रु-भाव बढ़ाते हैं। मनुष्य-मनुष्य का संबंध वस्तुओं के आदान-प्रदान पर उतना निर्भर नहीं करता जितना कि शब्दों के आदान-प्रदान पर करता है। व्यवहार में देखने में आता है कि अपने घर आए व्यक्ति के लिए यदि आप स्वागत के दो शब्द कह देते हैं, तो आपके द्वारा की गई साधारण अतिथि सेवा भी उसे अच्छी ही लगेगी, किंतु यदि उसके खान-पान तथा रहन-सहन की समुचित व्यवस्था करने पर भी आप कुछ कड़वी कठोर बात कर जाते हैं तो सारा करा-धरा व्यर्थ हो जाता है और सत्कार के स्थान पर आप उसके द्वेष के पात्र बन जाते हैं। मनुष्य के कटु-कठोर वचन कहीं-कहीं अत्यधिक अनिष्टकारी सिद्ध होते हैं। द्रौपदी के कड़वे वचन दुर्योधन के अंत:करण में शूल-से जा गड़े और परिणाम महाभारत के रूप में सामने आया। सयाने लोग कहते हैं कि ‘तलवार का घाव समय पर भर जाता है, पर वाणी का घाव कभी नहीं भरता’। इसलिए कबीरदास ने कहा कि
ऐसी वाणी बोलिये, मन का आपा खोय।
औरन को शीतल करै, आपहुँ शीतल होय ॥