CBSEEducationNCERT class 10thPunjab School Education Board(PSEB)

लड़का – लड़की एक समान

लड़का और लड़की मानव सामाजिक विकास रूपी गाड़ी के दो पहिए हैं। समाज के विकास के लिए इन दोनों की समान रूप से सहभागिता अनिवार्य है।

भारतीय संस्कृति में नारियों को उत्कृष्ट सम्मान दिया जाता है। परन्तु आज के समय में भी लड़कियों को भेद भाव की दृष्टि से देखा जाता है।

इसके जन्म से ही सबके चेहरे मुरझा जाते हैं और लड़के के जन्म से प्रसन्नता बढ़ जाती है। सच्चाई तो यह है कि चाहे जन्म लड़का ले या लड़की, इस पर किसी का वश नहीं है। यह तो ईश्वरीय देन है।

भगवान ने लड़का – लड़की को एक समान रूप से बनाया है। इस अंतर का मुख्य कारण है कि बेटी के जन्म के बाद ही माता – पिता को उसके दहेज की चिंता सताने लगती है।

समय तेजी से बदल रहा है, लड़कियों ने अपने दम पर यह साबित भी कर दिया है कि वे किसी से कम नहीं हैं। आज लड़कियां व्यवसाय और व्यापार के क्षेत्र में अपना नाम कमा रही हैं।

इस प्रकार समाज के इस भेदभाव वाले दृष्टिकोण को शिक्षा द्वारा बदला जा सकता है।