CBSEEducationNCERT class 10thParagraphPunjab School Education Board(PSEB)

लेख : भारत में आतंकवाद

भारत में आतंकवाद

आतंकवाद की समस्या ने आज केवल भारत ही नहीं, छोटे-बड़े अनेक देशों को अपने जाल में फँसा कर बहुत बुरी तरह से आतंकित कर रखा है। यह आतंकवाद वास्तव में है क्या? किसी झूठे – सच्चे कारण को लेकर कुछ सिर फिरे लोग बदले की आग में जलने लगते हैं। तब किसी के उकसाने में आकर या ज्यों – त्यों कर के शस्त्र जुटा वे लोग अपना अहसास कराने, अपने सही या बनावटी कारणों का सरकार एवं जनता को अहसास कराने के लिए सरकारी- गैर सरकारी निरीह लोगों की हत्याएँ आरम्भ कर दिया करते हैं। ऐसे लोग दबाव बनाने के लिए विशिष्ट लोगों का अपहरण तो किया ही करते हैं, कुछ दिनों तक वायुयानों का भी अपहरण करते रहे। आज जिस प्रकार का आतंकवाद भारत समेत विश्व के कई देशों में परिव्याप्त है, उसके मूल में अलगाववाद की भावनाएँ ही प्रमुख हैं। इसी भावना से अनुप्राणित होकर यहाँ के आतंकवादी अन्य देशों के आतंकवादियों के समान विशिष्ट लोगों का अपहरण – हत्या तो प्रायः अब भी करते रहते हैं, विगत वर्षों में वायुयानों के अपहरण जैसे संगीन अपराध भी कर चुके हैं।

भारत में सब से पहले नागालैण्ड के निर्माण के लिए आतंकवादी गतिविधियों का आरम्भ हुआ था। कहा जाता है कि उसके पीछे भी अंग्रेज़ों की शह थी। तभी तो उनके नेता को यहाँ से भाग कर इंग्लैण्ड में जाकर ही शरण मिल सकी थी। इसी प्रकार मिज़ो समस्या का भी समाधान होकर आतंक का अन्त हुआ और मिज़ोरम की स्थापना हुई। सुभाष घीसिंग द्वारा बंगाल के पहाड़ी इलाकों में गोरखालैण्ड के लिए चलाया गया आतंकवाद भी उस भाग के स्वायत्तशाली बन जाने के बाद समाप्त हो चुका है, यद्यपि धमकियाँ कभी – कभार आज भी मिलती रहती हैं। उड़ीसा और असम आज भी एक सीमा तक आतंकवादी गतिविधियों का शिकार बने हुए हैं।

लेकिन भारत में आतंकवाद का भीषणतम रूप यदि कहीं देखने को मिला तो खालिस्तान की सीमा पार से इंग्लैण्ड – अमेरिका में बैठे कुछ लोगों की मांग को लेकर पंजाब में मिला, और सीमा पार यानि पाकिस्तान की सी० आई० ए० द्वारा निर्यात् किया गया अलगाववादी आतंकवाद आजकल कश्मीर में देखने को मिल रहा है। उधर श्रीलंका में जो अलगाववादी आतंकवाद सक्रिय है, उसका प्रभाव भी भारत पर पड़ा और पड़ रहा है। यह आतंकवाद भारत के एक प्रधानमंत्री राजीव गान्धी की जान ले चुका है। इससे पहले पंजाब में चले आतंकवादी आन्दोलन ने यद्यपि हजारों निरपराध लोगों की जानें लीं, पर एक विशेष कीमती जान पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गान्धी की पंजाब के अलगाववादी आन्दोलन के कारण ही गई। आज भारत के सुरक्षा बलों ने पंजाब के आतंकवाद की कमर पूरी तरह तोड़ कर रख दी है; पर काश्मीर में आतंकवाद का दौर हजारों बेगुनाहों की जानें लेकर भी निरन्तर लम्बा होता जा रहा है। उसे बढ़ावा देने में पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेन्सी ने अपनी पूरी सहायता शक्ति लगा रखी है। यहाँ तक कि उसने प्रशिक्षित भाड़े के आतंकवादी भी वहाँ भेज रखे हैं, जबकि स्थानीय आतंकवादियों को हर प्रकार से प्रशिक्षित करने के लिए अनेक प्रशिक्षण केन्द्र भी चला रखे हैं।

काश्मीरी आतंकवाद का साहस इस सीमा तक बढ़ चुका है कि उसने प्रतिवर्ष होने वाली अमरनाथ यात्रा को तो बाधित करने का प्रयास किया ही, वैष्णो देवी की यात्रा पर भी अपनी तरफ से प्रतिबंध लगा रखा है। पाकिस्तानी खुफिया एजेन्सी की शह और सहायता से ही स्मगलर माफिया के जाने – माने लोग बम्बई में विस्फोट करवा कर अढाई – तीन सौ लोगों की जाने लेने के साथ-साथ करोड़ों की सम्पत्ति भी स्वाहा कर चुके हैं। उनके लिए राष्ट्रीयता का, मानवता का कोई भी मूल्य एवं महत्व नहीं है। देश के अन्य भागों, यहाँ तक कि राजधानी में भी उनके द्वारा विस्फोट किए गए और कराए जाने की योजनाएँ अक्सर सामने आती रहती हैं। आतंकवाद की आड़ में आज कई अपराधी गिरोह सक्रिय होकर देश के लोगों और उनके जान-माल को हानि पहुँचा रहे हैं। सरकारी शक्तियाँ अनेक प्रकार के प्रयास करके भी आतंकवाद पर काबू पाने की कोशिशें करते रह कर अभी तक तो हार ही चुके हैं। यद्यपि काश्मीरी जनता को अब वास्तविकता समझ में आने लगी है। यह भी पता चल चुका है कि उन्हें स्वतंत्रता के सुनहरे सपने दिखाने के नाम पर आतंकवादी किस प्रकार उनकी रोटियों – बेटियों पर भी अपने बदनीयत दाँत गड़ाए रहते हैं; फलतः आतंकवाद कुछ दबता हुआ प्रतीत हो रहा है, पर यह अब समाप्त ही हो जाएगा, ऐसा कर पाना सरल नहीं। कारण स्पष्ट है वह यह कि इसकी आड़ में पाकिस्तान ने भारत के विरुद्ध अघोषित युद्ध जो छेड़ रखा है। सो जब तक भारत भी उसके लिए युद्ध का सा वातावरण प्रस्तुत नहीं करता, इसे खत्म कर पाने की कल्पना करना सपनों की दुनिया में रहना और अपने आप को धोखा देने जैसा ही है।

अभी तक देश के कोने में जहाँ भी आतंकवाद सक्रिय है, उसे तो हर सम्भव उपाय से समाप्त करना ही है, देश के शेष सभी भागों में उभरी समस्याओं और विकास की आवश्यकताओं को समानता के आधार पर सुलझा और पूर्ण करनी चाहिए। ताकि कहीं और आतंकवाद के अकुर न फूट सकें। इसके लए सूझ – बूझ, विवेक सम्मत रीति – नीति आदि बनाने – अपनाने की आवश्यकता है, अन्यथा कोढ़ में खाज की तरह यह बीमारी निरन्तर बढ़ती ही जाएगी।