बालक शिवा को वीर शिवाजी बनाने वाली माँ जीजाबाई
हिन्दू-राष्ट्र के गौरव क्षत्रपति शिवाजी की माता जीजाबाई का जन्म सन् 1597 ई. में सिन्दरखेड़ के अधिपति जाधवराव के यहाँ हुआ। जीजाबाई बाल्यकाल से ही हिन्दुत्व प्रेमी, धार्मिक तथा साहसी स्वभाव की थीं। इनका विवाह मालोजी के पुत्र शाहजी से हुआ।
10 अप्रैल सन् 1627 को जीजाबाई ने शिवाजी को जन्म दिया। चूंकि शाहजी का समय अधिकतर घर से दूर बीतता था इसलिए शिवाजी का लालन-पालन उनकी माता जीजाबाई ने ही किया । जीजाबाई ने उनके लिए क्षत्रिय वेशानुरूप शास्त्रीय शिक्षा के साथ शस्त्र – शिक्षा की व्यवस्था की। माता जीजाबाई उन्हें रामायण व महाभारत की कहानियाँ सुनाती थीं और उनके नायकों के वीर कृत्यों के गीत भी गाती थीं। वे छाया की तरह हर वक्त शिवाजी के साथ रहतीं। माँ ने शिवाजी की शिक्षा का ध्यान रखा। उन्होंने उन्हें घुड़सवारी करना, निशानेबाजी और नेतृत्व करना सिखाया। जीजाबाई शिवाजी को प्रायः कहा करतीं “यदि तुम संसार में आदर्श बनकर रहना चाहते हो तो स्वराज की स्थापना करो।”
पति शाहजी की मृत्यु के बाद जीजाबाई सती होना चाहती थी किंतु शिवाजी के यह कहने पर कि “माता ! तुम्हारे पवित्र आदर्शों और प्रेरणा के बिना स्वराज्य की स्थापना संभव नही होगी।” तब माता ने दूरदृष्टि का परिचय देते हुए सती होने का विचार त्याग दिया। मुगलों के खिलाफ युद्ध में जीजाबाई ने अनेक बार शिवाजी के साथ मिलकर युद्ध में विजय पाई।
शिवाजी जब भी हतोत्साहित होते तो माँ जीजाबाई उनको उत्साहित करतीं, शिवाजी की वीरता व जीजाबाई की साधना सफल हुई। शिवाजी ने महाराष्ट्र पर स्वराज्य की स्वतन्त्र पताका फहराई, जिसे देखकर जीजाबाई ने शांतिपूर्वक परलोक प्रस्थान किया। वस्तुतः जीजाबाई स्वराज्य की ही देवी थीं।
भाव : माँ चाहे तो अपनी संतान में उच्चाकांक्षा के बीज बोकर एक विशाल वट वृक्ष के समान सदियों तक उसके अस्तित्व को सहेज सकती है। धन्य हैं वे माताएं जिन्होने स्वयं कष्ट सहकर, तप कर, अपनी संतानो को सोने सा चमकाया।