लघु कविता : मां
लघु कविता : माँ उफ नहीं करती
माँ का स्वरूप,
ममता से भरपूर।
सुखों का सागर,
सभी का आदर।
संस्कारों की रक्षक,
खुशियों की इच्छुक।
दुखों में सहेली,
सबके लिए पहेली।
सिखाती जिंदगी जीना,
उफ ! किए बिना।
बेटा है उसके लिए अनमोल रतन,
और बेटी संस्कारों का दर्पण।
सच्चाई पर चलती, पीछे न हटती।
यही है माँ की परिभाषा,
इसकी है न कोई अभिलाषा।