लघुकथा : संगति का प्रभाव
संगति का प्रभाव
एक धनी सेठ था। उसका एक ही बेटा था। उसका नाम त्रिशूल था। वह अपनी कक्षा में हमेशा प्रथम आता था। एक बार वह बुरी संगत में पड़ गया और लापरवाह हो गया।
उसका पिता बहुत दुःखी हुआ। उसे एक उपाय सूझा। वह बाजार से सेब खरीद लाया। उसने साथ ही एक खराब सेब भी खरीद लिया। उसने त्रिशूल से कह दिया कि ये सब एक टोकरी में रख दे। पिता ने अगले दिन त्रिशूल को बुलाया और उससे टोकरी लाने को कहा। टोकरी में रखे सभी सेब खराब हो चुके थे। त्रिशूल को यह देखकर बड़ी हैरानी हुई। तभी उसके पिता ने कहा एक खराब सेब ने सभी अच्छे सेबों को भी सड़ा दिया। इसी तरह बुरी संगति में व्यक्ति भी बर्बाद हो जाता है। त्रिशूल ने सबक सीखा। उसने अपनी बुरी संगत छोड़ दी और फिर से एक अच्छा लड़का बन गया।