CBSEHindi GrammarLaghukatha (लघुकथा)

लघुकथा : घमंडी का सिर नीचा


घमंडी का सिर नीचा


एक दिन पृथ्वी, हवा और वर्षा एक बड़ी चट्टान से बातें कर रहे थे। चट्टान ने कहा – “मेरे जैसा मजबूत संसार में और कोई नहीं है। तुम तीनों मेरा मुकाबला नहीं कर सकते।”

पृथ्वी और हवा दोनों इस बात पर सहमत थे कि चट्टान बहुत मजबूत है, पर वर्षा इस बात पर सहमत नहीं थी कि वह चट्टान का मुकाबला नहीं कर सकती। उसने कहा, ‘तुम मजबूत हो, यह मैं जानती हूँ, लेकिन मैं कमजोर नहीं।’

इस बात को सुनकर पृथ्वी, हवा और चट्टान हँसने लगे।

तब वर्षा ने कहा, देखो, मैं क्या कर सकती हूँ। यह कहकर वह तेज गति से बरसने लगी। कई दिन बरसने पर चट्टान को कुछ नहीं हुआ। कुछ समय बाद पृथ्वी और हवा पुनः हँसने लगे।

प्रत्युत्तर में वर्षा ने कहा, ‘थोड़ा धैर्य रखो बहन।’ वर्षा चट्टान पर लगातार दो वर्षों तक बरसती रही। उसके कुछ समय बाद हवा और पृथ्वी चट्टान से मिलने पहुँची। देखा चट्टान बीच से कट गई है। तब वर्षा ने कहा- “यह छेद चट्टान को हिंसक रूप से काटकर नहीं बनाया गया, बल्कि यह चट्टान पर मेरे लगातार, नियमित रूप से गिरने से बना है।”

यह सुनकर घमंडी चट्टान का सिर शर्म से झुक गया।

इस शिक्षाप्रद कथा से यह शिक्षा प्राप्त होती है कि कठिन से कठिन लक्ष्य पाने के लिए अभ्यास की निरन्तर आवश्यक होती है।