लघुकथा का उदाहरण


लघुकथा का उदाहरण


दिसंबर का महीना था। कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। गली में सुबह-सुबह भिखारी जोर-जोर से आवाज़ लगा रहा था, “है कोई राम का भक्त जो अंधे भिखारी को सरदी में एक कुर्ता दे दे?” उसकी दर्दनाक आवाज़ सरदी के वातावरण को चीर रही थी। उसकी आवाज़ सुनकर रामेश्वर से रहा नहीं गया। उसने अपनी पत्नी को जगाते हुए कहा, “देखो! गली में भिखारी ठंड के मारे पुकार रहा है। मुझसे उसकी आवाजें सुनी नहीं जाती। मेरी पुरानी कमीज और कोट निकाल दो। उसे दे आँऊ।” पत्नी ने कमीज निकालकर पति को दे दी। रामेश्वर ने दरवाजा खोला और भिखारी को कहा, “लो बाबा! कमीज और कोट ले लो। “

“भगवान तुम्हारा भला करे।” भिखारी ने कहा।

‘बाबा। कोट पहनोगे या बेच दोगे?”

“बाबूजी पहनूँगा तो शरीर की ठंड मिट जाएगी। बेच दूँगा तो पेट की आग बुझ जाएगी। अब आप जैसा कहेंगे, वैसा ही करूँगा।” रामेश्वर घर के भीतर गया। उसने भिखारी को रोटी लाकर दी।

‘बाबूजी! अब कमीज जरूर पहनूँगा।” कहकर भिखारी चला गया।’