CBSE 12 Sample paperClass 12(xii) Hindi

रूबाइयां – सार


रूबाइयां – फिराक गोरखपुरी (कवि)


सारांश

रूबाइयां में कवि ने वात्सल्यपूर्ण चित्र प्रस्तुत किया है जिसमें माँ आंगन में खड़ी अपने बच्चे को झूला झुला रही है। वह बच्चे को नहलाती है और कपड़े पहनाती है। मां के चेहरे पर वात्सल्य की चमक है। दीवाली पर वह चीनी के खिलौने लाती है। रक्षाबन्धन के दिन बहन-भाई के कलाई पर चमकते तारों वाली राखी बांधती है।