CBSEEducationPunjab School Education Board(PSEB)अनुच्छेद लेखन (Anuchhed Lekhan)

रचनात्मक लेखन : जहाँ न पहुँचे रवि वहाँ पहुँचे कवि


अनुच्छेद लेखन/ रचनात्मक लेखन/ जनसंचार लेखन/ सृजनात्मक लेखन


जहाँ न पहुँचे रवि वहाँ पहुँचे कवि


कहते हैं कि सूर्य की किरणें जहाँ नहीं पहुँच पातीं वहाँ कवि की कल्पना पहुँच जाती है। वह अपनी कल्पना-शक्ति का प्रयोग करके ऐसे स्थानों पर पहुँच जाता है जहाँ मनुष्य का पहुँचना असंभव है। कल्पना व्यक्ति की सोचने की शक्ति का विकास करती है इसलिए व्यक्ति को सदैव कल्पनाशील रहना चाहिए।

हम अपने शरीर के द्वारा जहाँ नहीं पहुँच पाते हैं, वहाँ पलभर में ही कल्पना के पंख लगाकर पहुँच जाते हैं। परन्तु कल्पना वही कर सकता है जिसमें जिजीविषा हो, जो दृढ़ निश्चयी हो और जो सदैव क्रियाशील रहता हो। हमारी रचनात्मकता हमें कल्पना करने के लिए प्रेरित करती है। एक कवि की कलम में इतनी शक्ति होती है कि वह समाज में परिवर्तन एवं क्रांति दोनों ला सकता है। प्राचीन समय में महाकवि कालिदास ने मेघों को दूत बनाकर अपनी प्रिया के पास भेजा था, यह कवि की कल्पना-शक्ति का ही परिचायक है। आधुनिक कवियों में कवि निराला का प्रिय विषय ‘बादल’ ही रहा है। कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने तो मेघों को अतिथि मानकर’ मेघ आए’ कविता की रचना कर डाली। आकाश में विद्यमान सूर्य की किरणें समस्त संसार को प्रकाशित एवं आलोकित करती हैं पर कवि की कल्पना सूर्य की किरणों को पार करके आकाश की उस अंतिम सीमा को स्पर्श करती हैं जहाँ सूर्य का पहुँचना असंभव है अतः हमें सदैव कल्पनाशील रहना चाहिए। प्रत्येक इंसान में एक कवि छिपा होता है बस उस कवि हृदय को जाग्रत करने की आवश्यकता है।