रचनात्मक लेखन : जब पिताजी की पदोन्नति हुई


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जब पिताजी की पदोन्नति हुई


मेरे आदर्श मेरे पिता हैं। बचपन से छोटी से छोटी चीज़ों का ख़्याल रखते हुए आए हैं। मैं आज भी अपने पिता जी के साथ बिताए हुए बचपन के सभी पलों को याद करती हूँ। उनका विनम्र और शांतिपूर्ण व्यक्तित्व है। गलती करने पर भी वह डांटते नहीं है बल्कि बड़ी ही सरलता से बात को समझा देते हैं। ऐसा कहा गया है कि ‘कड़ी मेहनत हमेशा मीठा फल देती है।’ मेरे पिता जी सब इंस्पेक्टर के पद पर आसीन थे लेकिन अब उनकी पदोन्नति कर दी गई है जिसकी वजह से वह एस.एच.ओ बन गए हैं। मैं भी अपने जीवन में कड़ी मेहनत करूँगी जिससे मैं अपने पिता जी का नाम रोशन कर सकूँ। पिता जी की इस पदोन्नति से माँ अत्यन्त प्रफुल्लित हैं, इसलिए आज उन्होंने पदोन्नति के उपलक्ष्य में एक पार्टी का आयोजन किया है।