‘मैराथन दौड़’ शब्द कहाँ से आया?
मैराथन दौड़ के बारे में हम सब जानते हैं – ओलम्पिक की सबसे लम्बी यानि 42 किलोमीटर की दौड़। लेकिन यह कम ही लोग जानते होंगे कि ‘मैराथन‘ एक देश की आज़ादी की रक्षा करने के लिए लड़ा गया प्रसिद्ध युद्ध था, जो भारत से बहुत दूर ग्रीस देश में लड़ा गया।
यह लड़ाई छोटे से ग्रीस राज्य और उस समय के सबसे ताकतवर फारस के अखामनी साम्राज्य के बीच हुई थी। इस असमान लड़ाई में विजय किसकी हुई और मैराथन दौड़ का इस महान युद्ध से क्या रिश्ता है, इसकी एक दिलचस्प कहानी है।
आज से करीब ढाई हजार बरस(2500 साल) पहले फारस यानि ईरान पर पारसी धर्म को मानने वाले शासकों का राज हुआ करता था, जिसे ‘अखामनी साम्राज्य’ कहा जाता था।
इस वंश का प्रसिद्ध शासक साइरस था, जिसका साम्राज्य एजियन सागर से कैस्पियन सागर तक और काले सागर से अरब की मरूभूमि तक फैला हुआ था।साइरस की मृत्यु के बाद डेरियस नामक शासक ने बासफोरस की खाड़ी को पार कर यूरोप के बालकन प्रायद्वीप पर भी अधिकार कर लिया। सिर्फ एक छोटा सा देश ग्रीस उनसे बचा रहा।
तब ग्रीस में दो नगर राज्य थे – एथेंस और स्पार्टा। डेरियस ने इन दोनों नगर राज्यों में अपने दूत भेजकर फारस की अधीनता मंजूर करने को कहा। लेकिन एथेंस और स्पार्टा ने इस सन्देश की अवहेलना कर उस समय की मान्य परम्परा के विरुद्ध दोनों दूतों को मरवा दिया। इससे नाराज डेरियस ने 600 जहाजों में करीब एक लाख सैनिक एथेंस पर चढ़ाई करने के लिए रवाना कर दिए। यह घटना 491 ईस्वी पूर्व की है।
फारसी सैनिकों ने एथेंस से करीब 26 मील यानि लगभग 42 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित मैराथन के मैदान में अपने शिविर लगा दिए। इस पर एथेंस के मिलिटिएड्स नामक सेनानायक की अगुवाई में बीस हजार सैनिकों ने दुश्मनों की विशाल सेना ने टक्कर ली। उन्होंने ऐसा युद्ध किया कि फारसी सेना को हारकर अपने जहाजों की शरण लेनी पड़ी। यह विजय चमत्कारी और अविश्वसनीय थी।
सेनानायक मिलिटिएड्स ने विजय की सूचना एथेंस नगर को भेजने के लिए फिलिप्पाईड्स नामक धावक को रवाना किया। फिलिप्पाईड्स ने 26 मील यानि करीब 42 किलोमीटर की दूरी बिना रुके दौड़कर और एथेंस पहुंचकर सहमे हुए एथेंसवासियों को रोमांचक विजय का सुखद समाचार दिया और फिर निढाल होकर जमीन पर गिर गया। वहीं उसकी मौत हो गई।
उसकी याद में ही आज की लंबी दौड़ ‘मैराथन’ कहलाती है।
लेकिन ग्रीस की अग्निपरीक्षा खत्म नहीं हुई थी। इसी बीच डेरियस की मृत्यु हो गई। 485 ईस्वी पूर्व में जरक्सीस प्रथम ने अखामनी साम्राज्य की बागडोर संभाली। ‘मैराथन‘ की हार का बदला लेने के लिए उसने ग्रीस पर आक्रमण करने का निर्णय लिया। इसके लिए उसने चार साल तैयारी की।
उसकी सेना में करीब दो लाख सैनिक, भारी तादाद में इंजीनियर, दास और व्यापारी थे। 1207 जहाजों का बेड़ा भी साथ चला। ग्रीस पहुंचने के लिए रास्ते की हेलेस्पांट की खाड़ी पर नौकाओं के दो पुल बनाए गए और सात दिन और रात में यह विशाल सेना पुल पार कर पाई। यह विशाल सेना थर्मापली के संकरे मैदान में पहुंची। मैराथन की लड़ाई एथेंस के सैनिकों ने लड़ी थी।
अब ग्रीस के दूसरे नगर राज्य स्पार्टा की बारी थी। शासक लियानिडास की अगुवाई में तीन सौ स्पार्टन सैनिकों ने फारसी सैनिकों का मुकाबला किया। लेकिन असाधारण वीरता के बावजूद स्पार्टा की सेना हार गई और थर्मापली पर फारसियों का कब्जा हो गया।
इसके बाद एथेंस की सेना को हराने के लिए फारस का जहाजी बेड़ा एथेंस के पास सालमीस में जमा हुआ। 127 विशालकाय फारसी जहाजों का मुकाबला करने के लिए वहाँ तीन सौ छोटी ग्रीक नावें ही थीं। लेकिन बहादुर ग्रीक नाविकों ने फारसी बेड़े को पराजित कर दिया। इस पराजय के बाद जरक्सीस तो लौट गया, लेकिन जलसेना को ग्रीस में ही छोड़ गया। इस पर ग्रीस के बेड़े ने फारसी बेड़े को पूरी तरह बर्बाद कर दिया।
नन्हे से ग्रीस के हाथों फारस के विशाल साम्राज्य की पराजय एक युगान्तकारी घटना थी। इसके बाद ही ग्रीस ने यूरोप के लिए स्वतंत्र विचारों और प्रजातांत्रिक राजनीतिक संगठनों के आदर्श विकसित किए।
इतिहास में मैराथन, थर्मापली और सालमीस के युद्ध मानवमात्र की आजादी की आकांक्षा के प्रतीक बन गए।