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मेरी इच्छाएं मेरी आशाएं हैं।


विश्व महापुरुष को खोजता है न कि महापुरुष विश्व को।

काम की समाप्ति यदि संतोषजनक हो तो परिश्रम की थकान याद नहीं रहती।

• ‘वृक्ष के समान बनो’ जो कड़ी गर्मी झेलने के बाद भी सभी को छाया देता है।

प्रत्येक व्यक्ति की रुचि एक-दूसरे से भिन्न होती है।

मेरी इच्छाएं ही आशा बन जाती हैं।

• कोई वस्तु पुरानी होने से अच्छी नहीं हो जाती और न ही कोई काव्य नया होने से निंदनीय हो जाता है।

जल आग की गर्मी से गर्म हो जाता है पर वास्तव में उसका स्वभाव तो ठंडा ही होता है।

• जिस प्रकार बड़ा छेद हो या छोटा, वो नाव को डुबो देता है उसी तरह दुष्ट व्यक्ति की दुष्टता उसे बर्बाद कर देती है।

• गुण से ही व्यक्ति की पहचान होती है, गुणी व्यक्ति हर जगह आदर पाता है।

सज्जन पुरुष बिना कहे ही दूसरों का भला कर देते हैं, जिस प्रकार सूर्य घर-घर जाकर प्रकाश देता है।

• पृथ्वी पर तीन रत्न हैं; जल, अन्न और सुभाषित। लेकिन अज्ञानी पत्थर के टुकड़ों को ही रत्न कहते हैं।

आज अच्छी तरह जीने वाले आने वाले कल को उम्मीद की निशानी बना लेते हैं।

कालिदास