अपने विद्यालय की विशेषता बताते हुए अपने विदेशी मित्र/साथी को पत्र लिखिए।
21/24 सरोजनी नगर,
नई दिल्ली
28 जनवरी, 20XX
प्रिय करण
सप्रेम नमस्ते।
आशा है, तुम कुशल होंगे। तुमसे बिछड़ने के बाद जब मैं दिल्ली आया तो मेरा मन बहुत उदास था। मैं अकेला भी महसूस कर रहा था लेकिन जब मैंने अपने नए विद्यालय में प्रवेश किया तो धीरे-धीरे सब कुछ बदल गया। विद्यालय की सुंदरता ने मेरा मन मोह लिया। जितना सुंदर भवन उससे ज्यादा सुंदर वहाँ का उपवन। विशाल खेल प्रांगण और बड़ी-बड़ी कक्षाएँ, चारों ओर फैले सुंदर पौधे इसकी खूबसूरती में चार चार लगा रहे थे।
इस विद्यालय में 4000 से भी अधिक बच्चे पढ़ते हैं। हमारी प्रधानाचार्या का नाम श्रीमती विमला शर्मा है। वे अत्यंत विदुषी, कुशल तथा स्नेही महिला हैं। वे दिन-रात विद्यालय की उन्नति की चिंता किया करती हैं। कभी विद्यालय के प्रवेश द्वार पर तो कभी खेल के मैदान में कभी सुबह की प्रार्थना सभा में कभी चल रही कक्षा के बीच आकर बच्चों से मिलती-जुलती हैं और बहुत स्नेह और अपनापन देती हैं। मेरे विद्यालय का अनुशासन बहुत कठोर है। सभी बच्चे अपने अध्यापकों की बात मानते हैं और उनका बहुत सम्मान करते हैं। हमारे विद्यालय में बड़े-बड़े पुस्तकालय, प्रयोगशालाएँ और कंप्यूटर की प्रयोगशालाएँ भी हैं। हमें हर तरह की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिए तैयार किया जाता है। यहाँ आकर अब मैं तैराकी और क्रिकेट में भी हिस्सा लेने लग गया हूँ। यहाँ बहुत अच्छे प्रशिक्षक हैं। मित्र, यहाँ भी मैंने एक-दो मित्र बनाए हैं। वे अभी मेरे अधिक करीब नहीं आए हैं। मित्र यदि वहाँ की कोई बात मुझे सताती है तो तुम तुम मेरे अच्छे मित्र थे, अब भी हो और आगे भी रहोगे। अब मैं पत्र समाप्त कर रहा हूँ। माताजी- पिताजी को मेरा प्रणाम कहना। छोटी बहना को प्यार।
तुम्हारा प्रिय मित्र
कमल