मानसिक सेहत भी महत्वपूर्ण होती है

एक बार एक व्यक्ति डॉक्टर के पास गया। उसके पूरे शरीर में तकलीफ थी, परन्तु उसकी सारी जांच रिपोर्ट सामान्य थी।

डॉक्टर ने कहा – ” आपकी सेहत एकदम ठीक है। आप तो चाहे सर्कस देखने जाओ और जोकर को देखो, उसे देखकर तुम्हें हंसी आएगी।”

यह सुनकर उस व्यक्ति ने कहा- “मैं ही सर्कस का जोकर हूँ। दूसरों का मनोरंजन करना अलग बात है और खुद को खुश रखना अलग बात है।”

आदि शंकराचार्य ने कहा है कि अल्पकालिक वस्तुओं के प्रति उदासीनता और आंतरिक चेतना के साथ संबंध ही सच्ची प्रसन्नता देता है।

किसी भी मशीन का तब तक ठीक प्रकार से प्रयोग नहीं किया जा सकता, जब तक उसकी निर्देश पुस्तिका को पढ़कर उस मशीन को चलाने का सही तरीका ना पता चल जाए।

आध्यात्मिक ज्ञान जीवन के लिए निर्देश पुस्तिका है जिस प्रकार गाड़ी चलाने के लिए हमें स्टेयरिंग घुमाना, पहिया, क्लच ब्रेक आदि का प्रयोग करना आना चाहिए, उसी प्रकार अपने मन को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक जीवन ऊर्जा के मौलिक नियमों को जानने की हमें आवश्यकता है।

लोग मानसिक रोगों के उपचार के लिए मनोचिकित्सक के पास जाते हैं। दवाइयां आरंभ में असर करती हैं, पर बाद में बीमारी से मुक्त होने की जगह धीरे धीरे व्यक्ति दवाओं का आदी हो जाता है।

जब हम ध्यान का अभ्यास करते हैं तो यह गहराई से हमें पूर्णता प्रदान करता है। हमारे आध्यात्मिक आयाम खुलने लगते हैं, इसका असर धीरे-धीरे हमारे जीवन के प्रत्येक भाग पर दिखने लगता है।

हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के साथ साथ, हमारा मानसिक स्वास्थ्य भी महत्वपूर्ण होता है।

कहते हैं

मन चंगा ते कठौती विच गंगा।