‘मनुष्यता’ और ‘अब कहाँ दूसरों के दुःख में दुखी होने वाले
प्रश्न . ‘मनुष्यता’ कविता और ‘अब कहाँ दूसरों के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ का केंद्रीय भाव एक ही है। सिद्ध कीजिए।
उत्तर – ‘मनुष्यता‘ कविता में कवि ने मनुष्य में मानवीय गुणों यथा प्रेम, दया, करुणा, परोपकार, सहानुभूति, उदारता, त्याग आदि को मनुष्य के लिए आवश्यक बताया है। उसने दधीचि, कर्ण, रंतिदेव आदि लोगों के उदाहरण द्वारा दूसरों के लिए जीने को उनकी सहायता करने की प्रेरणा दी है, वहीं ‘अब कहाँ दूसरों के दुख से दुखी होने वाले‘ पाठ में भी लेखक ने प्रकृति, जीवों, मनुष्य के दुखों के प्रति दुखी होने, उनकी सहायता करने, उनके साथ सामंजस्य बनाने पर जोर दिया है तथा अपनी बात की पुष्टि के लिए तथा लोगों को प्रेरित करने हेतु सुलेमान, नूह, अपने पिता, माँ आदि के उदाहरण दिए।
अतः दोनों ही पाठों में मानवीय गुणों को अपनाने पर जोर दिया गया है। इससे सिद्ध होता है कि दोनों पाठ का केंद्रीय भाव एक है तथा उदारता, करुणा, सद्भाव, सहानुभूति जैसे गुणों पर आधारित है।