बोलने से पहले शब्द मनुष्य के वश में होते हैं।
- सच्ची मित्रता उत्तम स्वास्थ्य के समान है। उसका महत्व तभी जान पाते हैं, जब हम उसे खो देते हैं।
- झूठ को अच्छे लहजे की जरूरत है, सच तो हर लहजे में कड़वा ही होता है।
- बोलने से पहले शब्द मनुष्य के वश में होते हैं, परन्तु बोलने के बाद मनुष्य शब्दों के वश में हो जाता है।
- हम सब को जीवन में ‘अवसर’ नाम की किताब मिलती है, जिसके पन्ने बिल्कुल कोरे होते हैं। इन पन्नों में हमें शब्द भरने हैं और यह तय करना है कि वे पन्ने नकारात्मकता से भरे हैं या सकारात्मकता से।
- अपनी बुराई से हमेशा लड़ते रहना चाहिए और पड़ोसियों के साथ शांति भाव बनाकर रखना चाहिए। अपने आप को अच्छा इंसान बनाने की कोशिशें जारी रहनी चाहिए।
- हमें अपने दिल पर यह लिख लेना चाहिए कि साल का हर दिन सर्वश्रेष्ठ दिन होता है।
- भय से तब तक ही डरना चाहिए, जब तक भय (पास) न आया हो। आए हुए भय को देखकर बिना शंका के उस पर प्रहार करना चाहिए।
- छोटी चीज़ों के बारे में हमेशा वफादार रहना चाहिए क्योंकि इन्हीं में आपकी शक्ति निहित होती है।
- अगर हारने से डर लगता हो तो जीतने की इच्छा भी नहीं रखनी चाहिए।
सुखी बसै संसार सब दुखिया रहे न कोय
यह अभिलाषा हम सबकी सो भगवन पूरी होय
इसमें भक्त भगवान से कहता है – हे प्रभु, इस संसार को सुखी कर दो और ऐसी कृपा बरसाओ कि कोई दुखी न रहे। भक्त का तो काम ही मांगना होता है।
भगवान भी हंसते हुए कहते हैं – क्या बुराई है सुख मांगने में ? फिर भी दुःख तो आएंगे ही। दुनिया में कोई सुख ऐसा नहीं बना जो बिना दुख को साथ लाए अकेला आया हो।